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    Home»Breaking News»सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामलों की सुनवाई बंद नहीं होगी
    Breaking News

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामलों की सुनवाई बंद नहीं होगी

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 24, 2021No Comments8 Mins Read
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    प्रदूषण के बढ़ते संकट पर कोर्ट सख्त

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले की सुनवाई बंद नहीं होगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि कोर्ट इस मामले पर विस्तृत आदेश जारी करेगा। मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि चुनाव के चलते पंजाब में पराली जलाने वालों पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। तब कोर्ट ने कहा था हम हर चीज़ नियंत्रित नहीं कर सकते। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 16 नवंबर को एक्यूआई 403 थी अब 290 है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि यह तो हवा बहने के चलते हुआ है। आपने क्या किया है।

    सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था हमारे पास कई नई अर्ज़ियां आई हैं। एक मजदूर संगठन की है कि निर्माण कार्य शुरू करवाया जाए। तब मेहता ने कहा कि प्रतिबंध 21 तारीख तक था। अब स्थिति बेहतर है तो रोक हट गई है। औद्योगिक प्रदूषण से बचने के लिए थर्मल प्लांट बंद हैं। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या स्कूल खुल गए हैं। तब मेहता ने कहा कि अभी उन्हें बंद रखा गया है। मेहता ने कहा था अवैध निर्माण, वाहनों पर जुर्माना लगाया गया है। मौसम विभाग की रिपोर्ट है कि 26 नवंबर तक हवा और बेहतर होगी। हम 3 दिन बाद फिर समीक्षा करेंगे। तब कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक तैयारी होनी चाहिए। हवा का बहाव नियंत्रित नहीं कर सकते। पर अगले 7 दिन हवा कैसी बहेगी, उसके आधार पर आप कदम उठा सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हवा का बहाव कम होने का अनुमान मिलते ही प्रदूषण नियंत्रण प्लान तुरंत लागू हो जाना चाहिए। स्थिति बिगड़ने की प्रतीक्षा न हो।

    सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था हम मामला बंद नहीं करेंगे। विस्तृत आदेश देंगे। आप एक्यूआई 290 बता रहे। हमें पता चला है कि यह अभी 381 है। हवा का बहाव 3 किमी प्रति घंटा है। निर्माण कार्य रुकने से मज़दूर प्रभावित हैं। लेबर वेलफेयर फंड में कितने करोड़ रुपये हैं। उनसे लोगों को 4-5 दिन पैसे मिलने चाहिए। चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या पंजाब, हरियाणा, यूपी में कोई अध्ययन हुआ है कि कितनी पराली खेतों से हटाई गई। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था अगर गोवर्धन मॉडल अपनाकर फसल अवशेष उन राज्यों में भेजा जाए जहां पशुओं के लिए चारे की कमी है तो हल निकल सकता है।

    17 नवंबर को कोर्ट ने कहा था कि सरकारी अधिकारी जड़ता की स्थिति में हैं। हर बात कोर्ट को तय करनी पड़ रही है। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पराली जलाने के मामले में कई गलत बातें मीडिया में कही जा रही हैं। कहा जा रहा है कि इसका योगदान कम कर मैंने कोर्ट को गुमराह किया है। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि नहीं, आपने हमें गुमराह नहीं किया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि टीवी डिबेट दूसरों से ज़्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। सबका अपना-अपना एजेंडा है। उन्हें मुद्दों की समझ नहीं है। मेहता ने कहा कि मैंने कहा था कि पराली का कुल प्रदूषण में योगदान कम है। लेकिन इन दो महीनों में इसका असर बहुत बढ़ जाता है। मेहता ने कहा था कि उद्योगों को गैस ईंधन से चलाने का निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली के तीन सौ किलोमीटर के दायरे के 11 थर्मल पावर प्लांट्स में सिर्फ 5 को चलाने की अनुमति दी गई है। बाकी 30 नवंबर तक बंद रहेंगे। ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। 10 साल से पुराने डीज़ल और 15 से पुराने पेट्रोल वाहन पर रोक लगाई गई है।

    सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि किसानों को पराली क्यों जलाना पड़ता है, इस पर कोई नहीं सोच रहा है। पांच सितारा होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है। चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम पराली के लिए किसानों को दंडित या परेशान नहीं करना नहीं चाहते हैं। राज्य सरकार इस मामले का ख्याल रखें।

    दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि केंद्र ने पहले कहा था कि पराली जलाने से 35 से 40 फीसदी प्रदूषण है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आज हर अखबार ने आंकड़ा दिया है। केंद्र पूरे साल की बात कर रहा है। हम इन दो महीनों को लेकर ज़्यादा चिंतित हैं। सिंघवी ने कहा था कि पराली जलाने को कम करके आंकने का नुकसान है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमने सिर्फ यही कहा है कि किसानों को दंडित मत कीजिए। सिंघवी ने कहा था कि बायो ट्रीटमेंट कारगर है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप चाहते हैं कि हम कुछ बोलें और वह खबर बने।

    जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यहां 7 स्टार सुविधा में बैठे लोग किसानों पर जिम्मा डालना चाहते हैं। औसत किसान की ज़मीन का आकार क्या है। क्या वह खर्च उठा सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा मैं अपने मोबाइल से पढ़ रहा हूँ। एक रिपोर्ट कहती है कि पटाखों का कोई खास योगदान नहीं है। क्या यह मान लें। हमारी रोक के बावजूद पटाखे जले। तब सिंघवी ने कहा कि हमारे पास खेती की जमीन कम है। इसलिए हमने पराली पर पड़ोसी राज्यों से अनुरोध किया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें क्या करना चाहिए। तब सिंघवी ने कहा कि हर साल यह सुनवाई देर से शुरू होती है। इसे अक्टूबर की शुरुआत में होना चाहिए। तभी असर होगा।

    सिंघवी ने कहा कि हमने दफ्तर बंद किए लेकिन एनसीआर से तो गाड़ियां आएंगी ही। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या आप सीएनजी बसें बढ़ा सकते हैं ताकि लोग उसमें दफ्तर जाएं। तब सिंघवी ने कहा कि यह देखना होगा कि कितनी बसें हैं। पर एनसीआर से आनेवाली गाड़ियों का क्या करेंगे। सुनवाई के दौरान हरियाणा के वकील ने कहा कि मुख्य सचिव समेत आला अधिकारी निगरानी कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या आप एनसीआर के शहरों में वर्क फ्रॉम होम करवा रहे हैं। तब हरियाणा सरकार ने कहा कि जी। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या आप कह रहे हैं कि इन चार जिलों में निजी वाहन बंद हैं। असल में आपने लोगों को उनकी मर्जी से चलने की अनुमति दे रखी है।

    सुनवाई के दौरान पंजाब के वकील ने कहा कि हमारी टीम ने गांवों का दौरा किया है। जिन खेतों में पराली जल रही थी उसे पानी डाल कर बुझाया गया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपने आग बुझा दी और फसल अवशेष को वहीं छोड़ दिया। किसानों की खेती में मदद कौन करेगा। किसानों को गेहूं की फसल लगाने से पहले 15-20 दिन ही मिलते हैं। वकील विकास सिंह ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि अभी कुछ कदम उठें। न कि उन्हें अगले अक्टूबर के लिए छोड़ दिया जाए। विकास सिंह ने कहा कि गाड़ियों-उद्योगों के लिए भी नियम हैं। किन बातों का पालन हो रहा है, यह देखने की बात है। लेकिन पराली जलाने की समस्या की उपेक्षा नहीं हो सकती। पंजाब ने खरीफ और रबी की फसल का अंतर कम कर दिया है। इससे पराली से निपटने के परंपरागत उपाय भी बंद हो गए क्योंकि उनमें समय लगता है। इस दौरान पराली का योगदान पचास फीसदी है। दिल्ली गैस चैंबर है। मुझे काम करने के लिए स्टेरॉयड लेने पड़ रहा है। धूल की तुलना में धुआं खतरनाक है। अगर हमने हल नहीं ढूंढा तो इन दो महीनों में सबकुछ बंद करना पड़ जाएगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने सोचा था कि कुछ ठोस तात्कालिक कदम उठाए जाएंगे। पर यह नहीं दिख रहा। उन्होंने कहा कि मैं वही बता रहा हूं। एक वकील ने सुझाव दिया कि पुरानी गाड़ियां हटनी चाहिए। सिंगापुर मॉडल अपनाया जाए।

    सुनवाई के दौरान यूपी के वकील ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि हमारे यहां प्रदूषण नहीं। लेकिन दिल्ली जो उपाय कर रहा है उसे सब पर लागू नहीं किया जा सकता है । मेहता ने कहा था कि मौसम विभाग की रिपोर्ट है कि 21 नवंबर के बाद स्थिति सुधरेगी। मेरा अनुरोध है कि आदेश से पहले तब तक इंतजार किया जाए। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आयोग को कुछ कदम उठाने चाहिए थे। विकास सिंह ने कहा कि सरकार सिर्फ प्रकृति पर निर्भर होने की बात कर रही है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्नत तकनीक की बात क्यों नहीं हो रही है। तब मेहता ने कहा कि विकास सिंह अपने सुझाव मुझे दें। हम उन पर विचार करेंगे । चीफ जस्टिस ने कहा कि केंद्र को दफ्तर आने वाले अपने कर्मचारियों को कुछ समय के लिए कम करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सरकारी कॉलोनियों में सार्वजनिक बस आदि दीजिए। तब मेहता ने कहा कि केंद्र के दफ्तर में कम काम का पूरे देश पर असर पड़ेगा। तब कोर्ट ने कहा कि चलेगी तो 50-60 कर्मचारी-अधिकारी उसमें दफ्तर आएंगे। मेहता ने कहा कि हम इस पर अमल कर सकते हैं।

    15 नवंबर को कोर्ट ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण कि हमें सरकारों का एजेंडा भी तय करना पड़ रहा है। हमें उम्मीद थी कि बैठक में कुछ ठोस निकलेगा। आप गाड़ी, धूल, निर्माण, वर्क फ्रॉम होम आदि पर कल शाम तक निर्णय लीजिए। हम कल शाम या परसों सुनवाई करेंगे। पंजाब, यूपी, हरियाणा कोशिश करें कि पराली जलना 1 हफ्ता रुके।

    दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वो दिल्ली में लॉकडाउन लगाने को तैयार है। लेकिन केवल दिल्ली में लॉकडाउन लगाने भर से काम नहीं चलेगा। एनसीआर में भी लॉकडाउन लगाना होगा।

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