कभी एक डगर के राही थे, अब रास्ते अलग-अलग हैं। एक पार्टी के सिपाही थे, अब एक-दूसरे पर हथियार ताने आमने-सामने खड़े हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी सीट पर यही नजारा है। यह मुख्यमंत्री रघुवर दास की परंपरागत सीट है। यहां उनकी ही कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय उनके खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। मुकाबला इतना हाई-प्रोफाइल हो गया है कि नेशनल मीडिया की भी निगाहें इस सीट पर हैं। यहां रघुवर के सामने कांग्रेस के चर्चित राष्टÑीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ और झाविमो के स्थानीय नेता अभय सिंह भी हंै। रघुवर दास के सामने इस सीट पर जीत का सिक्सर लगाने की चुनौती है। वह वर्ष 1995 से यहां लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं, इसलिए उनका आत्मविश्वास से लबरेज रहना स्वाभाविक है, वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी उनका रास्ता रोकने के लिए भरपूर ताकत लगा रहे हैं। दूसरे चरण के चुनाव में एक और सीट पर पूरे झारखंड की निगाहें टिकी हुई हैं। यह सीट है चक्रधरपुर, जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला झाविमो, झामुमो और आजसू से माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव हारने के बाद इस सीट पर जीत हासिल करना गिलुआ के लिए बेहद जरूरी हो गया है, लेकिन यहां जंग का मैदान उनके लिए आसान नहीं है। चक्रधरपुर सीट पर नतीजा क्या निकलेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, पर इतना तय है कि यहां मुकाबला कांटे का है। दोनों सीटों के राजनीतिक समीकरणों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।