जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अटल फैसले का देश के अन्य हिस्सों में भी इंपैक्ट दिखने लगा है। झारखंड में भी इसका राजनीतिक असर अभी से ही दिखना शुरू हो गया है। इसी साल के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे झारखंड के विपक्षी दलों पर यह 370 अटैक हुआ है और उनकी जमीन खिसकती नजर आ रही है। यही कारण है कि झारखंड की सत्ता पर काबिज होने के लिए छटपटा रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड विकास मोर्चा ने कश्मीर पर हुए फैसले के बाद भाजपा के सुर में सुर मिला लिया है। कांग्रेस के नेता भी इस फैसले का स्वागत ही कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि मोदी सरकार के फैसले ने न केवल भारत के इतिहास में नयी इबारत लिखी है, बल्कि इसने राजनीति को भी नयी दिशा दी है।
कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद झारखंड के विपक्षी दलों की हालत और नयी राजनीतिक परिस्थितियों पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास पेशकश।