24 सितंबर 2006 को जब भाजपा से अलग होकर बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक का गठन किया था, तभी से भाजपा को यह महसूस होने लगा था कि बाबूलाल को उचित तवज्जो और उनके विचारों को महत्व न देकर पार्टी ने गलती की है। इसके बाद भाजपा ने अपनी भूल सुधारने की लगातार कोशिश की और बाबूलाल मरांडी को पार्टी में वापस लाने की कोशिशें चलती रहीं। भाजपा की इन कोशिशों का नतीजा तब निकला, जब झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आने पर भाजपा सत्ता से बेदखल हो गयी। इसके बाद पार्टी के आलाकमान ने बाबूलाल को न सिर्फ मना लिया, बल्कि पार्टी में उनके आने की सूचना अर्जुन मुंडा सरीखे पार्टी के वरीय नेताओं को भी दे दी। अब खरमास के बाद बाबूलाल भाजपा के नेता के रूप में दिखेंगे। बाबूलाल की भाजपा में वापसी और झारखंड की राजनीति में उनकी अहमियत की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।