आज खबर विशेष में हम बात कर रहे हैं राजनीति में इंट्री मार रहे नौकरशाहों की और इससे उत्पन्न होनेवाली स्थिति की। अगले कुछ महीनों में झारखंड में विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं। इसे लेकर अभी से ही राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। झारखंड में सियासी पारा गरम होने लगा है। टिकट पक्का कराने के लिए रांची से लेकर दिल्ली तक दावेदारी की दौड़ शुरू हो चुकी है। दावेदारों की भीड़ में सरकारी सेवा छोड़कर राजनीति का मेवा खाने की इच्छा रखनेवाले नौकरशाह भी शामिल हैं। राजनीति में भाग्य आजमाने के लिए अफसर इस्तीफा तक देने से पीछे नहीं हटते। पहले से ही इस्तीफा देकर किस्मत आजमा रहे अधिकारियों के साथ कुछ ऐसे भी हैं, जो अपना राजनीतिक भविष्य का आकलन करने में जुटे हैं। कुछ अधिकारी पर्दे के पीछे रहकर राजनीतिक हवा भांपने की कोशिश कर रहे हैं। इधर, रिटायर्ड आइएएस और आइपीएस भी टिकट की दावेदारी में पीछे नहीं हैं। कई नौकरशाहों को राजनीतिक आॅफर का इंतजार है। जाहिर सी बात है, आॅफर मिलने पर वे नौकरी से इस्तीफा देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस चुनावी दंगल में कई नौकरशाह भी भाग्य आजमाने के फेर में हैं। उन्होंने बाकायदा इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। 40-45 साल की अपनी नौकरी का अनुभव लेकर अब राजनीति में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। इसमें बुराई तो कुछ नहीं है, पर उनका क्या, जो वर्षों से इसके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर इसी में जी जान से जुटे हैं। राजनीतिक दलों के ऐसे पुराने और समर्पित कार्यकर्ता, जो इस एक टिकट की आस में अपना सारा जीवन तक गुजार देते हैं। उनकी सारी मेहनत पल भर में खत्म हो जाती है, जब अंतिम समय में उनका टिकट छीन कर किसी ऐसे व्यक्ति को दे दिया जाता है, जो किसी दूसरे क्षेत्र से पदार्पण करता है। खास तौर पर ऐसी सेकेंड इनिंग खेलने वाले नौकरशाहों को उनके लिए पचाना तक मुश्किल हो जाता है। पेश है दीपेश कुमार की रिपोर्ट।