बिहार विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय झेलने के बाद कांग्रेस संगठन की हालत राष्ट्रीय स्तर पर डावांडोल तो हुई ही है, पिछले साल झारखंड में पार्टी को जो शानदार सफलता हासिल हुई थी, वह भी खतरे में दिखायी देने लगी है। पिछले एक साल में झारखंड कांग्रेस बिना पतवार के नाव जैसी हो गयी है, जिसका न कोई कप्तान है और न ही कोई दिशा। इसके अंदरखाने में जो हालात पैदा हो गये हैं, उससे ऐसा लगने लगा है कि संगठन को कोई देखनेवाला नहीं है।