झारखंड पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य का खजाना जम कर बरसाया है। घने जंगल, खूबसूरत वादियां, जलप्रपात, वन्य प्राणी, खनिज संपदाओं से भरपूर और संस्कृति के धनी इस राज्य में बहुत कुछ है। यही इसकी थाती और धरोहर भी रही है। इन सबको झारखंड के जनजीवन के साथ जोड़ कर देखा जाता है। इन्हीं वन संपदा पर कुछ माफियाओं की कुदृष्टि लग गयी। इसमें अधिकारियों का भी खूब साथ मिला और झारखंडी जनजीवन की परवाह किये बगैर कमाई का खतरनाक खेल चलता रहा। कहते हैं-गाय का भी दूध निकालने से पहले उसे खिलाया-पिलाया जाता है। पुचकारा जाता है। इसके बाद दुहा जाता है, लेकि