30 अक्टूबर को जब भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सुखदेव भगत को निष्कासित किया, तो इसे उन्होंने बड़ी सहजता से लिया। निष्कासन पर उनके बोल थे, धन्यवाद भाजपा और इसके बाद उन्होंने चुप्पी साध ली। हालांकि उनके दिल में कहने के लिए बहुत कुुछ था, पर वह जानते थे कि इस समय कम बोलना ही उनके लिए अच्छा है।