देश का संविधान बनाने में अहम भूमिका निभानेवाली पश्चिम बंगाल की धरती पर आज संवैधानिक प्रावधान और संघवाद की अवधारणा दम तोड़ती नजर आ रही है। राज्य सरकार की मुखिया दीदी ममता बनर्जी की दादागिरी ने माहौल को इतना विकट बना दिया है कि इस प्रदेश के भविष्य के बारे में कोई भी आकलन खतरे से खाली नहीं है। केंद्र-राज्य के बीच के रिश्तों में ममता सरकार ने जो तल्खी पैदा की है, उसकी जड़ में कहीं न कहीं सियासी तिकड़म ही है। अगले तीन-चार महीने में राज्य में होनेवाले विधानसभा