वर्ष 2011 के अप्रैल महीने में जब रालेगांव सिद्धी के गांधीवादी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था, तब पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था। देश में सत्ता परिवर्तन को उस आंदोलन का परिणाम बताया गया था, लेकिन पिछले चार दिन के दौरान चार घटनाओं ने बड़ा सवाल देश के सामने रख दिया है कि क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें