रांची: झारखंड के गव्य पालकों के लिए खुशखबरी है। रघुवर सरकार ने अब गव्य पालन को कृषि का दर्जा दे दिया है। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की ओर से लाये गये प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। अब गव्य पालकों को किसानों को मिलनेवाली सभी सुविधाएं मिल सकेंगी। अब नियुक्तियों में स्थानीत नीति अनिवार्य रूप से लागू होगी। गौरतलब है कि झारखंड में सिंचाई के अभाव में कृषि की संभावनाएं कम है। फलस्वरूप दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए कृषि के क्षेत्र में आवश्यक आर्थिक विकास दर को प्राप्त करने के उद्देश्य से सरकार ने गव्य पालन को कृषि का दर्जा दिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद कैबिनेट सचिव सुरेंद्र सिंह मीणा ने इसकी जानकारी दी। कैबिनेट की बैठक में कुल 19 प्रस्तावों पर मुहर लगी।
इन प्रस्तावों को कैबिनेट ने दी मंजूरी
* स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्रामीण प्रबंधन इकाई के क्रियान्वयन के लिए 16 पदों के सृजन को मंजूरी
* अखिल भारतीय सेवाओं के सेवानिवृत्त पदाधिकारियों को पेंशन सप्तम वेतनमान के आधार पर देने के लिए 1.42 करोड़ रुपये की स्वीकृति।
* पोटका के हल्दीपोखर में बैंक आॅफ बड़ौदा के आदर्श ग्रामीण ब्रांच के लिए 10.26 डिसमिल जमीन हस्तांतरण की स्वीकृति।
* बीएयू के शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए नियम में संशोधन। एसटी उम्मीदवारों को 2 फीसदी, दिव्यांगों के लिए 3 फीसदी आरक्षण होगा। स्थानीय नीति भी लागू रहेगी।
* मुख्यमंत्री के सोशल मीडिया सेल में 9 पदों का सृजन। एक निदेशक सहित 8 पदाधिकारी होंगे।
* राज्य के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के लिए दिल्ली के झारखंड भवन में सांसद कोषांग के गठन को मंजूरी। एक उप सचिव और कंप्यूटर आॅपरेटर की संविदा के आधार पर नियुक्ति होगी।
* सामुदायिक आधार पर लघु सिंंचाई योजना के क्रियान्वयन के लिए 20 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति।
* 17 जिलों में तेजस्विनी योजना के क्रियान्वयन के लिए 48 पदों का सृजन।
* झारखंड लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड का नाम मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड करने की घटनोत्तर स्वीकृति।
* जिला स्तरीय पदों पर नियुक्ति के लिए स्थानीय नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रस्ताव को मंजूरी।