कोलकाता: सरकार ने देश भर में सभी 418 खानों में सुरक्षा व्यवस्था की आडिट (विधिवत जांच) कराने की आज घोषणा की। सरकार ने झारखंड में राजमहल में एक खुली कोयला खदान में हादसे के बाद यह निर्णय किया है। दुर्घटना में कम से कम 18 मजदूर मारे गए। केंद्रीय बिजली, कोयला और खान मंत्री पीयूष गोयल ने आज यहां कहा कि सरकार ने खनन क्षेत्र को पूरी तरह से दुर्घटनामुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। गोयल ने कहा, ‘हमने समीक्षा के लिए कोल इंडिया के साथ एक बैठक की। उसमें हमने खान सुरक्षा के विषय में कुछ निर्णय किए हैं। हमने हाल की दुर्घटना की विस्तृत जांच कराने का निर्णय भी किया है। सभी खानों का सुरक्षा आडिट भी कराया जाएगा।’
कोलकाता में उद्योग मंडल सीआईआई की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भाग लेने के बाद गोयल ने कहा कि खान सुरक्षा का आडिट खान सुरक्षा महानिदेशक के जरिए कराया जाएगा। जांच में खानों के आकार के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले 58 खानों को लिया जाएगा जिन पर साल में कुल मिलाकर 10 लाख से लेकर 50 लाख घनमीटर उत्पादन का क्षमता से अधिक दबाव है। जांच के काम में केंद्रीय खनन एवं इंधन अनुसंधान और कुछ अन्य विशेषज्ञ एजेंसियों की भी सेवाएं ली जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि खानों में डंपर मशीनों की टक्कर को बचाने की प्रणाली, दूर से इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की प्रणाली, कोल इंडिया की खानों में ढलान की स्थिरता पर ध्यान देने के लिए भूतकनीकी प्रकोष्ठ तथा गैस निगरानी प्रणाली जैसे उपायों पर फैसला पहले ही किया जा चुका है।
गोयल ने कहा कि उनका मंत्रालय खानों में खतरों की चेतावनी वाली प्रणालियों पर खर्च बढ़ाने को प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही खानों में बड़े डंपर और उपकरणों के प्रयोग और सभी खानों पर लोगों के लिए बसेरे बनाने की नीति लागू करने का प्रयास कर रही है। पर उन्होंने कहा कि हाल की दुर्घटना के कारण खान विकास एवं परिचालन (एमओडी) नीति में जल्दबाजी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस नीति में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा, ‘हमने दुर्घटना की जांच के आदेश दे रखे हैं। रिपोर्ट आ जाने दी दीजिए।’ गोयल ने दुर्घटना में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मृतकों के निकट संबंधियों को 5-5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की गयी है और अधिकारियों के दल प्रभावित परिवारों के पास भेजे जा चुके हैं। वहां बचाव कार्य अब भी चल रहा है।