नयी दिल्ली:  संप्रग सरकार के समय जिन 20 से अधिक सामाजिक-आर्थिक संगठनों के जमीन आवंटन को रद्द कर दिया गया था, उन्हें इस संबंध में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में एक प्रस्ताव को मंजूरी दिये जाने के बाद जमीन वापस मिलने की संभावना है। इन संगठनों में अधिकतर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े माने जाते हैं।

कैबिनेट ने शहरी विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जो अधिकतर संघ से संबद्ध संगठनों की जमीन बहाल करने से संबंधित है।

साल 2004 में संप्रग सरकार ने एक सदस्यीय जांच समिति की सिफारिशों के आधार पर पिछली राजग सरकार में हुए जमीन आवंटनों को निरस्त कर दिया था।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा, ‘‘पिछली :संप्रग: सरकार ने कुछ आवंटन रद्द कर दिये थे वहीं अपने अनुकूल कुछ संस्थाओं के लिए आवंटन को मंजूरी दे दी और इस तरह भेदभाव किया। शिकायती पक्षों ने शहरी विकास मंत्रालय के सामने अपना पक्ष रखा था जिसने निरस्तीकरण की समीक्षा करने के लिए दो सदस्यों की समिति बनाई थी।’’ सूत्रों के अनुसार, ‘‘कैबिनेट ने समिति के इस सुझाव को मंजूर किया है कि कुछ को छोड़कर सभी आवंटन सही थे।’’ कैबिनेट की मंजूरी के साथ शहरी विकास मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय में समिति की रिपोर्ट को रख सकता है जहां इस मुद्दे पर एक मामला लंबित है। मंत्रालय निरस्तीकरण को हटाने की मांग करेगा।

भूमि के 29 आवंटनों को निरस्त करने के संप्रग सरकार के फैसले की समीक्षा के लिए गठित समिति ने पिछले साल करीब दो दर्जन आवंटनों को बहाल करने की सिफारिश की थी।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998-99 से 2004 के बीच 32 सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक संगठनों को जमीन आवंटित की थी जिनमें से 22 संगठन संघ से जुड़े या समर्थित बताये जाते हैं।

हालांकि 2004 में संप्रग सरकार ने इस आधार पर 29 आवंटनों को रद्द कर दिया था कि इन आवंटनों में नियमों का उल्लंघन किया गया।

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