पटना: मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों पर बिहार सरकार जुर्माना लगाने की तैयारी कर रही है। जुर्माने की राशि पांच से 50 लाख रुपये तक हो सकती है। पटना मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएन सिन्हा ने इससे संबंधित ड्राफ्ट राज्य सरकार को भेजा है। जल्द ही सरकार इस पर अंतिम निर्णय ले सकती है।
प्राचार्य ने बताया कि नन क्लीनिकल विभागों के छात्र हमेशा क्लीनिकल विभागों में दाखिले के लिए प्रयासरत रहते हैं। मनचाहे विभाग में दाखिला होते ही छात्र पूर्व के विभाग को छोड़ देते हैं। इससे वह सीट पूरे कोर्स के दौरान खाली रह जाती है। इससे कॉलेज का तो नुकसान होता ही है, दूसरे छात्रों को भी अवसर नहीं मिल पाता है।
इसी कारण स्वास्थ्य विभाग ने जुर्माना लगाए जाने पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। सरकार की ओर से अलग-अलग राज्यों में मेडिकल छात्रों पर लगाए जाने वाले जुर्माना की राशि से संबंधित जानकारी मांगी गई है। जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा। देश के दो दर्जन से अधिक राज्यों में मेडिकल की पढ़ाई अधूरी छोड़ने पर जुर्माने का प्रावधान पहले से ही है। सर्वाधिक जुर्माना केरल में 50 लाख रुपये है।
पश्चिम बंगाल में मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ने पर सबसे कम पांच लाख रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यह भी व्यवस्था की गई है कि पढ़ाई के दौरान जितनी छात्रवृत्ति मिलती है, छात्रों को उसे लौटाना होगा। मेडिकल कॉलेज ही नहीं वेटेनरी कॉलेज में भी बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की कमी नहीं है।
बिहार वेटेनरी कॉलेज में 60 सीटें आवंटित हैं, लेकिन फाइनल ईयर में मात्र आठ छात्र हैं। एडमिशन के समय सभी सीटें भरी जाती हैं, मगर जैसे-जैसे छात्रों का दाखिला दूसरे मेडिकल कोर्स में होने लगता है, वह वेटेनरी कॉलेज छोड़ देते हैं।