नयी दिल्ली। मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चलते हुए सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे संबंधित बिल मंगलवार को लोकसभा और बुधवार को राज्यसभा में सरकार लायेगी। इसके लिए राज्यसभा का सत्र नौ जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया। केंद्र सरकार आरक्षण के इस नये फार्मूले को लागू करने के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ायेगी। बता दें कि भारतीय संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार के पास गेमचेंजर माने जा रहे इस कदम को अमलीजामा पहनाने के लिए संविधान में संशोधन ही एकमात्र रास्ता है। सूत्रों के मुताबिक आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जायेगा। इसमें से 10 फीसदी कोटा आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए होगा। बता दें कि लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण की मांग की जा रही थी।

आरक्षण की क्या हैं शर्तें
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिन लोगों की पारिवारिक आय 8 लाख रुपये सालाना से कम है, उन्हें ही इसका फायदा मिलेगा। साथ ही इसके लिए शहर में 1000 स्क्वायर फीट से छोटे मकान और 5 एकड़ से कम की कृषि भूमि की शर्त भी रखे जाने की खबरें हैं।

प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक फैसला: रघुवर
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्र सरकार द्वारा कैबिनेट की बैठक में शिक्षा एवं नौकरी में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समाज के लोग भी आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सबका साथ सबका विकास ही केंद्र एवं राज्य सरकार का मूल मंत्र है। वर्षों से लंबित सवर्णों के आरक्षण की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी कर दी। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि सभी राजनीतिक दल इस फैसले का स्वागत करेंगे।

गरीब सवर्णों को आरक्षण के पक्ष में केजरीवाल, शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने भी किया समर्थन
नयी दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, केजरीवाल इशारों-इशारों में इसे बीजेपी का चुनावी स्टंट भी बता रहे हैं। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ हो जायेगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।’ उधर, पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने भी मोदी सरकार के इस फैसले पर कटाक्ष किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जातियों के लिए मोदी सरकार ने 10% आरक्षण का स्वागत योग्य चुनावी जुमला छोड़ दिया है। ऐसे कई फैसले राज्यों ने समय-समय पर लिये, लेकिन 50% से अधिक आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी क्या ये फैसला भी कोर्ट से रोक लगवाने के लिए एक नौटंकी है?

खबरें आ रही हैं कि शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी केंद्रीय कैबिनेट के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इसे चुनावी जुमला करार देते हुए कहा कि इससे मोदी सरकार बच नहीं पायेगी। उन्होंने कहा कि बहुत देर कर दी मेहमान आते-आते। यह ऐलान तभी हुआ है जब चुनाव नजदीक है। वे कुछ भी कर लें, उनका कुछ नहीं होने वाला। कोई भी जुमला उछाल दें, उनकी सरकार नहीं बचने वाली।

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