रांची। झारखंड में इस साल दो चुनाव होने हैं। अगले तीन महीने में लोकसभा चुनाव होगा और साल के अंत में विधानसभा का चुनाव। इन दोनों चुनावों में योद्धाओं की तस्वीर लगभग साफ हो गयी है। यह तय हो गया है कि दोनों चुनाव में सीधा मुकाबला ही होगा। इसमें एक तरफ भाजपा होगी, तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों का महागठबंधन। विपक्षी महागठबंधन में नेतृत्व पर कोई विवाद नहीं रह गया है, क्योंकि इसके घटक दलों के नेताओं ने फैसला कर लिया है कि लोकसभा चुनाव में नेतृत्व कांग्रेस करेगी, तो विधानसभा चुनाव में विपक्षी खेमे के सेनापति हेमंत होंगे। पिछले तीन दिनों के दौरान महागठबंधन के नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद सीट शेयरिंग का फार्मूला लगभग तैयार कर लिया गया है।
महागठबंधन खेमे के सूत्रों के अनुसार लोकसभा की 14 सीटों में से कांग्रेस के हिस्से में छह सीटें जाती दिख रही हैं। इनमें रांची, खूंटी, लोहरदगा, धनबाद, गिरिडीह और जमशेदपुर शामिल हैं। झामुमो को चार सीटें, दुमका, राजमहल, चाईबासा और पलामू सीट देने की बात लगभग तय है। झाविमो के खाते में कोडरमा और गोड्डा सीट देने की बात है, जबकि हजारीबाग सीट वामपंथियों के हिस्से में और चतरा सीट राजद के हिस्से में जा सकती है। सूत्रों के अनुसार पलामू और चतरा सीट को लेकर अलग-अलग दलों के अलग-अलग दावे हैं। लेकिन उसका भी हल निकाल लिया गया है। यदि राजद पलामू सीट पर अधिक दबाव डालेगा, तो जमशेदपुर सीट झामुमो को दे दी जायेगी और चतरा सीट कांग्रेस के हिस्से में चली जायेगी। कुल मिला कर दलों के बीच सीटों की संख्या यही रहेगी।
सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव के लिए भी महागठबंधन के नेताओं ने सीट बंटवारे का फार्मूला तैयार कर लिया है। इसके अनुसार झामुमो के हिस्से में 30 सीटें जा सकती हैं, जबकि कांग्रेस को 20 सीटें देने पर सहमति बन चुकी है। झाविमो को 15 सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की गयी है, जबकि वाम दलों को पांच सीटें दी जा सकती हैं। राजद के लिए आठ सीटें छोड़ी जा सकती हैं, जबकि तीन सीटों को सुरक्षित रखा गया है। ये सीटें राष्टÑीय कांग्रेस पार्टी और बसपा जैसे दलों के हिस्से में जा सकती हैं। इस फार्मूले में थोड़ा पेंच बताया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस दो या तीन सीटें अधिक मांग सकती है। उस स्थिति में राजद और झामुमो की एक-एक सीट कम की जायेगी।
वैसे इस फार्मूले को लेकर असंतोष की चर्चा भी हो रही है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा की सात सीटों पर एक से अधिक दल दावा कर रहे हैं। दिल्ली की बैठक में इन दावों पर भी गौर किया जायेगा। बताते चलें कि झामुमो ने पहले ही लोकसभा की उन सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है, जो अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। इनमें से खूंटी और लोहरदगा पर कांग्रेस भी दावा कर रही है। राजद चतरा और पलामू के साथ कोडरमा पर दावा करने के मूड में है, जबकि कोडरमा पर झाविमो अपना दावा कर रहा है।
यहां स्पष्ट कर दें कि कई दौर की बैठक के बाद यह खाका तैयार हुआ है। इसमें कुछ सीटों के बारे में दिल्ली में ही निर्णय लिया जायेगा। लेकिन इतना तय है कि झारखंड में इन दलों में कोई सीट महागठबंधन में दरार पैदा नहीं करेगी। लोकसभा में झामुमो सहित तमाम दल राहुल की बात मानेंगे और विधानसभा में झामुमो की अगुवाई में कांग्रेस कुर्बानी देने को तैयार है। मकसद सिर्फ इतना भर है कि लोकसभा और विधानसभा में भाजपा के साथ सीधा मुकाबला विपक्ष का हो।