नयी दिल्ली। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गयी। राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया। लोकसभा ने इस विधेयक को कल ही मंजूरी दी थी, जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था।

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा, क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था, तो वह वादा किस आधार पर किया गया था। क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया, वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है।

उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। वह बरकरार रहेगा। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया।

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जतायी गयी और पूर्व में पीवी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गयी। कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रख कर लायी है। अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए सदन से बहिर्गमन किया।

विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ऐसी क्या बात हुई कि यह विधेयक अभी लाना पड़ा? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हार के बाद संदेश मिला कि वे ठीक काम नहीं कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यह आरक्षण एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को काटकर नहीं दिया जा रहा है।

गरीब सवर्णों को आरक्षण देने से समाज में बराबरी आयेगी: रघुवर दास
गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का विधेयक पारित होने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के गरीब भाई-बहनों को आरक्षण देने से समाज में बराबरी आयेगी। इससे आम आदमी के बीच हर तरह की दूरी मिटेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐतिहासिक फैसले से गरीब से गरीब व्यक्ति तक विकास पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक का राज्यसभा में भी पारित होना ऐतिहासिक कदम है। गरीबों के सशक्तिकरण के लिए उठाये गये इस ऐतिहासिक कदम के लिए सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी सांसदों को हार्दिक धन्यवाद देते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया है।

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