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    दहशत की बुनियाद पर खड़ा है ढुल्लू महतो का साम्राज्य

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJanuary 5, 2020No Comments9 Mins Read
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    बेबसी का आंचल फैला कर पीड़ित कमला देवी थाने से लेकर न्यायालय तक मांग रही न्याय की भीख
    ढुल्लू महतो इस बार कांग्रेस के जलेश्वर महतो को एक हजार से भी कम मतों से पराजित कर विधायक बने हैं। उनके विधायक बनने के साथ ही संवैधानिक व्यवस्था के आगे प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है। 26 सितंबर 2019 को बियाडा के पूर्व अध्यक्ष सह अधिवक्ता विजय कुमार झा ने धनबाद डीसी को पत्र लिख कर उनकी दहशतगर्दी के कई कारनामों को उनके समक्ष रखा था। इनमें से एक कतरास थाना कांड संख्या 178/19 की भी चर्चा उन्होंने की है। इस कांड की सूचक भाजपा की जिला मंत्री कमला देवी ने विधायक ढुल्लू महतो पर बलात्कार के प्रयास की लिखित रिपोर्ट थाने को दी थी। लेकिन भाजपा नेत्री के प्रतिवेदन को कतरास पुलिस ने संज्ञान में नहीं लिया। महीनों थाने से लेकर धनबाद पुलिस के आलाधिकारियों का चक्कर लगाने के बाद भी जब कमला देवी को न्याय मिलने की उम्मीद नहीं दिखी, तो उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद उन्हें इंसाफ मिला। हाईकोर्ट के निर्देश पर ही अंतत: ढुल्लू महतो पर भादवि की धारा 376, 354, 504, 511, 506/34 के तहत मामला दर्ज किया गया। ठीक इसी तरह के मामले में यूपी के पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जेल की हवा खा रहे हैं, लेकिन जंगल राज का टाइगर आज भी पिंजड़े से बाहर है। झारखंड में ही एक सामान्य आरोप पर झाविमो विधायक प्रदीप यादव को जेल भेज दिया गया था। ढुल्लू की व्यवस्था पर पकड़ का अंदाज इससे भी होता है कि जब रंगदारी देते-देते अख्तर हवारी त्रस्त हुआ, तो उसने डीसी के सामने जाकर परिवार समेत खुद पर केरोसिन डाल कर आत्मदाह का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस की तत्परता से उसकी जान तो बच गयी, लेकिन रंगबाजी की इस बड़ी घटना को भी प्रशासनिक स्तर पर नजरअंदाज कर दिया गया। एक दूसरा उदाहरण डुमरा के जीतू साव भी हैं। सड़क किनारे की उनकी जमीन को जब जबरन ढुल्लू महतो की ओर से छीनने का प्रयास किया गया, तो पुलिस मूकदर्शक बनी रही। फिलहाल धारा 145 उस जमीन पर लागू है। वहीं जीतू साव आज भी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। ढुल्लू ने नामांकन के पर्चे में कमला देवी द्वारा दर्ज मुकदमे की जानकारी तो दी, पर जमानत पर न होने की बात छिपा गये। अब संकट यह है कि यदि विधायक ढुल्लू महतो शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होते हैं, तो यह सवाल खड़ा होगा कि झारखंड में कानून है भी या नहीं? सवाल इसलिए खड़ा होगा कि दफा 376, 354 गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। बिना जमानत लिये वह एक प्रत्याशी के रूप में घूमते रहे और अब शपथ ग्रहण करने की तैयारी में हैं।

    रघुवर सरकार ने मामला वापस लेना चाहा था, कोर्ट ने सजा सुनायी
    बाघमारा विधायक पर रंगदारी, पुलिस की वर्दी फाड़ने और दहशत फैलाने सहित लगभग 28 मामले दर्ज हैं। इनमें से पांच मामलों में वह दोषसिद्ध मुजरिम हैं। कुछ मामलों में वह बरी भी हो चुके हैं। लेकिन दोष सिद्ध मामलों में एक बहुचर्चित मामला कतरास थाना कांड संख्या 120/13 है। विधायक ढुल्लू महतो की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उच्च स्तरीय निर्देश पर पुलिस-प्रशासन ने केस वापसी की आवश्यक कानूनी प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार झा ने इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट से कार्रवाई करने का आग्रह किया था। दिलचस्प यह है कि इस मामले में ढुल्लू महतो 349 दिन जेल में भी रहे थे। इसके बाद उन्हें जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि छह महीने के अंदर वह निचली अदालत से ट्रायल समाप्त करवा लें। यह आदेश 20 जून 2014 का था। लेकिन जब पांच वर्ष गुजरने के बाद भी ट्रायल पूरा नहीं हुआ, तो विजय कुमार झा ने अक्टूबर, 2019 में झारखंड हाईकोर्ट में पीआइएल दाखिल किया। इसके बाद पुलिस प्रशासन इस मामले में बैकफुट पर आ गया। नतीजा यह निकला कि विधायक ढुल्लू महतो जेल गये। मामले में ट्रायल पूरा होने के बाद उन पर दोष सिद्ध हुआ, पर उन्हें केवल डेढ़ वर्ष की सजा मिली और वह दुबारा चुनाव लड़ने में सफल रहे। इस मामले में बरोरा थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी आरएन चौधरी रंगबाजी के अभियुक्त राजेश गुप्ता को गिरफ्तार कर पुलिस बल के साथ जब थाने ले जा रहे थे, तब ढुल्लू महतो ने उन्हें जबरन पुलिस की कस्टडी से मुक्त कराया था। इस क्रम में पुलिस की वर्दी भी फाड़ी गयी थी। विजय झा के अनुसार धनबाद न्यायालय के मो उमर, न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत तथा जिला और सत्र न्यायाधीश अंबुजनाथ की अदालत में उन पर पांच मामलों में दोष साबित हो चुका है।

    जिसने आवाज उठायी, उसका चरित्र हनन हुआ
    विधायक ढुल्लू महतो के आतंक राज के खिलाफ जिसने भी आवाज उठायी, उसे आगे चल कर हरिजन उत्पीड़न से लेकर महिला उत्पीड़न तक के मामले का आरोपी बनाया गया। इस संबंध में बियाडा के पूर्व चेयरमैन विजय झा ने धनबाद उपायुक्त को फंसाये गये लोगों का विवरण देते हुए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। उन्होंने अपने पत्र में कतरास थाना कांड संख्या 38/19, रामकनाली थाना कांड संख्या 66/19, कतरास कांड संख्या 161/19 और सीपी केस नंबर 2879/2019 की खास चर्चा की है। डीसी को लिखे गये पत्र में यह जानकारी दी गयी है कि जब भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष बिनय सिंह ने ढुल्लू के आतंक के खिलाफ खड़े होने का साहस किया, तो उनके भतीजे राहुल सिंह पर एक महिला से 376 का मामला दर्ज करा दिया। एक अन्य मामले में जयंती देवी की ओर से विनय सिंह और उनके भाई-बहनों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया। विजय झा के पत्र के मुताबिक जब उन्होंने विधायक के अवैध कारनामों को उजागर किया, तो शबनम खातून ने उनके विदेश से आये पुत्र बिट्टू झा पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने का प्रयास किया। संयोग से सीसीटीवी फुटेज के कारण जब मामला दर्ज नहीं हुआ, तो ढुल्लू ने सुबोध पासवान नामक व्यक्ति से हरिजन उत्पीड़न अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा दिया। भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि कमला देवी के साथ जब ढुल्लू महतो ने बदतमीजी की, तो प्रत्यक्षदर्शी होने के कारण मैं गवाह बन गया। मामले में गवाही देने के लिए जब मैं डीसी ट्रेन से हाईकोर्ट जा रहा था, तब ट्रेन में ही मेरे ऊपर प्राणघातक हमला किया गया। पर किसी तरह मैं बचने में सफल रहा। न्यायालय के निर्देश पर मेरी सुरक्षा में आरक्षी बल को लगाया गया, लेकिन उसे तुरंत हटा लिया गया। इसके शिकार निवर्तमान सांसद रवींद्र पांडेय भी हुए। कमला देवी के मामले में मददगार के रूप में जब वह सक्रिय हुए, तो उनके खिलाफ मुनी देवी नामक महिला ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करा दिया।

    रंगदारी की बुनियाद पर खड़ा है ढुल्लू का आर्थिक साम्राज्य
    विधायक ढुल्लू महतो का कतरास, सिजुआ, वेस्ट मुरीडीह और गोविंदपुर में बीसीसीएल के कोयला व्यवसाय पर आतंक का साम्राज्य कायम है। उसकी मर्जी से ही यहां कोयले की बिडिंग होती है। उसने अपने साम्राज्य वाले क्षेत्र में बिडिंग रेट कोयले के लागत मूल्य से सौ-दो सौ रुपये ज्यादा यानि 32 सौ से 35 सौ रुपये तक निर्धारित कर रखी है। इससे ज्यादा कोयले की बिडिंग करने वाले कोयलाधारक एक छटांक भी कोयला नहीं उठा पाते, जबकि बीसीसीएल की दूसरी परियोजनाओं में कोयले की बिडिंग सात हजार तक जाती है। ढुल्लू के साम्राज्य की खास बात यह है कि भारी मात्रा में राजस्व का नुकसान होने के वावजूद उन्हें प्रतिमाह 25 से 40 हजार टन का आॅफर प्रबंधन भेजता है और चार हजार प्रति टन के हिसाब से 40 हजार टन का मुनाफा अपनी झोली में बटोर लेता है। उसके आतंक के चलते ही धनबाद इंडस्ट्रीज और कॉमर्स के अध्यक्ष बीएन सिंह ने एक प्रेस वार्ता कर कोयलाधारकों से बिडिंग न करने की अपील की थी। उन्होंने भारत सरकार से लेकर राज्य सरकार के हर विभाग को पत्र लिख कर ढुल्लू महतो की कारगुजारियों की जानकारी दी। लेकिन नतीजा सिफर रहा। ढुल्लू के कोयला व्यवसाय से जुड़े आतंक के कई किस्से हैं। धनबाद जिला बजरंग दल के जिला अध्यक्ष विक्की सिंह के भाई ने सौ टन कोयले का बिड किया था। लेकिन ढुल्लू महतो के गुर्गों ने एक छटांक कोयला उठने नहीं दिया। इसी तरह जिला परिषद सदस्य और जदयू नेता सुभाष राय के भाई जगदीश राय ने सौ टन कोयले की बिडिंग की थी। उन्होंने कोयला उठाने के लिए प्रशासन का सहयोग लिया। पर एक छटांक कोयला वह नहीं उठा सके। इसी तरह चंदेल कंपनी के कोयले को उठाने के लिए धनबाद कोयलांचल के डीआइजी मीणा साहब ने जब रुख कड़ा किया, तो कोयले की जगह पत्थर लोड कर कंपनी को भारी नुकसान ढुल्लू के गुर्गों ने पहुंचाया। कोल बिडिंग की सीमा तय कर दिये जाने के कारण अब तक बीसीसीएल को अनुमानित 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। ऐसे एक नहीं, सैकड़ों मामले हैं, जिसकी जांच हो, तो बडेÞ घोटाले निकल कर सामने आ सकते हैं। इनमें प्रबंधन से लेकर प्रशासन तक कटघरे में होगा, पर ऐसा होने की संभावना कम ही लगती है।

    लदाई मजदूर से विधायक बनने का सफर
    90 के दशक में ढुल्लू महतो कतरास के जोगडीह साइडिंग में लदाई मजदूर का काम करते थे। तब रैक से पत्थर छांटने और कोयला लोड करने के एवज में उन्हें 20 रुपये प्रति बॉक्स मिलते थे। इसी क्रम में टुंडी इलाके की उनकी पुश्तैनी जमीन का बीसीसीएल ने अधिग्रहण कर लिया और उसमें ढुल्लू महतो के चारों भाइयों को नौकरी मिल गयी। नौकरी की वजह से पहले यूनियन और बाद में तत्कालीन वनांचल कांग्रेस के विधायक समरेश सिंह के संपर्क में ढुल्लू महतो आये। इसके बाद ब्वायलर और चानक से उत्पन्न छाई से गांव के गढ्ढों को भरने के नाम पर उठाने की अनुमति ली। पर विजय कुमार झा के अनुसार इस अनुमति की आड़ में छाई की जगह कोयला पार होने लगा। जल्द ही यह मामला सीबीआइ की रडार पर जा पहुंचा। पर इस जांच के नतीजे सामने नहीं आये। इसी क्रम में समरेश सिंह ने ढुल्लू महतो को टाइगर फोर्स का अध्यक्ष बना दिया। अध्यक्ष बनते ही जन समस्याओं की आड़ में अधिकारियों का घेराव कर उन्हें प्रताड़ित करने का दौर ढुल्लू महतो के नाम से शुरू हो गया।
    पहली बार ढुल्लू महतो 2005 में वनांचल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में खडेÞ होकर 25 हजार वोट हासिल करने में सफल रहे। यही उनका मजबूत आधार बना। इसके बाद कई बड़े नेताओं के संपर्क में ढुल्लू महतो आये। इसके बाद वर्ष 2009 का चुनाव झाविमो से लड़कर विधायक बनने में सफल रहे। इसके बाद वर्ष 2014 और 19 में भाजपा से चुनाव लड़कर ढुल्लू महतो विजयी हुए।

    दहशत की छायाद पर खड़ा है ढुल्लू महतो का साम्राज्य है
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