पूर्व मंत्री बोले : राजनीतिज्ञों को असली समाजसेवी होना चाहिए
प्रश्न: भाजपा की सरकार नहीं बनने पर आपका मंत्री पद हाथ से निकल गया है। इसे आप कैसे देखते हैं ?
उत्तर: राजनीति में कभी सूर्यास्त नहीं होता है। एक कहावत है देयर इज नो सनसेट इन पॉलिटिक्स। विधायक बने हैं मंत्री नहीं बने हैं। इसके लिए मुझे कोई मलाल नहीं है। असली राजनीतिज्ञ पद की लालसा नहीं करता। राजनीतिज्ञों को असली समाजसेवी होना चाहिए। जेपी नारायण कभी विधायक मंत्री नहीं रहे लेकिन आज भी उनकी राजनीतिज्ञ रूप से पूजा एवं चर्चा होती है। मंत्री पद मिल गया तो ठीक नहीं मिला तो कोई बात नहीं। राजनीति में ऐसा लगा रहता है।
प्रश्न: स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए आपने कई स्वास्थ्य योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है। अब आगे क्या करने का विचार है ?
उत्तर: अभी तो मैं विपक्ष में हूं। लेकिन जिन बुनियादी चीजों को मैने धरातल पर लाया है। जिसमें तीन से पांच मेडिकल कॉलेज में से जो दो अधूरा मेडिकल कॉलेज है उसे सरकार पूर्ण कराये। यही मेरी कोशिश होगी। विपक्ष में बैठकर इस बात की चर्चा करेंगे कि प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो। एम्स मेरे द्वारा जो लाया गया था। उसका भी काम शुरू इस सरकार द्वारा कराया जाये। प्रदेश के कई क्षेत्रों में जो अस्पताल बने हैं जिसमें कई चालू है और कई चालू नहीं है। उन्हें सरकार चालू कराये। इसके लिए वे विपक्ष में बैठकर सरकार के साथ चर्चा करेंगे और प्रयास करेंगे।
प्रश्न: शिक्षा के क्षेत्र में भी आपने कई कार्य किये हैं। इसमें आगे क्या करना की योजना है ?
उतर: शिक्षा के क्षेत्र में मैने बहुत काम किया है। वो भी अपने रामचंद्र चंद्रवंशी ट्रस्ट के माध्यम से। अभी तक हमारे पास 23 शिक्षण संस्थान है। जिसके माध्यम से झारखंड प्रदेश नहीं देश के विभिन्न हिस्से के बच्चों को कम शुल्क पर शिक्षा देने की व्यवस्था है। जिन बच्चों के पास पैसे नहीं है। वैसे छात्रों को सरकार से छात्रवृति लेकर मैं अपने शिक्षण संस्थान द्वारा बच्चों को शिक्षित करने का काम करता रहा हूं। मात्र दो लाख में चार वर्ष का इंजीनियरिंग का कोर्स छात्रों को पूर्ण कराता हूं। ऐसे कम शुल्क पर हिंदुस्तान के किसी भी कोने में व्यवस्था नहीं है।
प्रश्न: नक्सली क्षेत्र होने के बावजूद आपने यहां इतना बड़ा शिक्षा का हब बनाने के लिए कैसे सोचा ?
उत्तर: यह बात सत्य है कि जो बच्चे इस नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हथियार लेकर चलते थे उन्हें हमने कलम धराने का काम किया है। 1985 से झारखंड में नक्सलियों का पदार्पण जबसे हुआ। विश्रामपुर-मझिआंव क्षेत्र नक्सलियों के प्रभाव के कारण काफी आक्रांत रहा। सबसे पहले इसका प्रभाव इसी क्षेत्र में देखने को मिला। लेकिन आज नक्सलवाद यहां समाप्ति की ओर है। यहां के बच्चे हाथों में कलम लेकर इंजीनियर और शिक्षक बन चुके हैं।
प्रश्न: आप पर आरोप लगते रहे हैं कि आप आलोचना बर्दाश्त नहीं करते। इसके बारे में क्या कहेंगे ?
उतर: हां, इस बात में सच्चाई है कि मैं आलोचना बर्दाश्त नहीं करता। क्योंकि हम जब सच्चे आदमी हैं, हम जब कोई काम सही करते हैं तब हमारे दुश्मन लोग आलोचना करते हैं तो मुझे काफी तकलीफ होती है। बहादूरी इसी में है कि जब हम एक कॉलेज बनाते हैं तो हमारी आलोचना करनेवाले दुश्मन दो कॉलेज बनायें। एक ईंट जोड़ने में कितनी मेहनत और परेशानी होती है यह काम करने पर ही पता चलता है। घर बैठे केवल आलोचना करनेवालों से काफी तकलीफ होती है।
प्रश्न: अपने विधान सभा क्षेत्र में आपने कौन से बड़े कार्य किये और क्या करना अभी बाकी रह गया है?
उत्तर: हमने अपने विधान सभा क्षेत्र में कई बड़े कार्य किये हैं। हमारे क्षेत्र में सड़क और पुल की बहुत बड़ी समस्याएं थीं। लोग आसानी से अपने गांव नहीं आ सकते थे। लेकिन हमने विस क्षेत्र के सभी गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने का काम किया। सभी नदियों पर पुल बनवाये। अभी सोन नदी पर पुल बनाये जाने की एक बड़ी योजना अधूरी है। जिसे पूर्ण कर कांडी से सीधे बिहार के रोहतास जिला से जोड़ा जा सकेगा। कई बड़ी सिंचाई योजनाओं को पूर्ण करावाने का काम किया। अभी मैं मझिआंव एवं विश्रामपुर को अनुमंडल बनाने के लिए प्रयास कर रहा था। इस सरकार से भी हमारा आग्रह होगा कि हमारे क्षेत्र में ये दो अनुमंडल बन जाये तो यहां के लोगों को काफी सहूलियत होगी।