रांची। वे बौद्धिक हैं, बिना लाग-लपेट के अपनी बातें रखते हैं और झामुमो के सच्चे सिपाही हैं। अपने राजनीतिक कौशल का पूरा इस्तेमाल वे पार्टी हित में करते हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य हैं। गुरुवार को झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में दयानंद राय ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत के संपादित अंश।
सवाल : सीएम के काफिले पर हमला प्रशासनिक चूक है या राजनीतिक साजिश?
जवाब : सीएम के काफिले पर हमला राजनीतिक षड्यंत्र है। इसके साथ ही यह प्रशासनिक चूक भी है। इसके पीछे भाजपाई हैं, इसलिए उन पर कार्रवाई हो रही है। वीडियो से यह साफ हो रहा है। उनकी आइडेंटिटी स्पष्ट है। सीएम के कारकेड की सुरक्षा हर तरह से चाक-चौबंद होनी चाहिए, इसलिए उनकी सुरक्षा बढ़ायी जानी चाहिए।
सवाल : बंगाल विधानसभा चुनाव की क्या तैयारियां हैं? पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी? मधुपुर सीट पर पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा?
जवाब : बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा पार्टी कर चुकी है। इसकी तैयारियां भी चल रही हंै। बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए सीटोें की घोषणा नोटिफिकेशन जारी होने के बाद की जायेगी। जहां तक मधुपुर सीट की बात है तो उसकी भी तैयारी चल रही है। वहां बूथ स्तर पर कार्यकर्ता तैयारियों में जुटे हुए हैं। मधुपुर सीट पर उम्मीदवार कौन होगा यह गुरुजी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तय करेंगे।
सवाल : गठबंधन सरकार के एक साल पूरे हो चुके हैं, अगले चार साल तक सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं?
जवाब : गठबंधन सरकार आनेवाले समय में सरकार निश्चय पत्र में की गयी घोषणाओं को प्राथमिकता के आधार पर लागू करेगी। पार्टी ने सरकारी नौकरी में झारखंड के पिछड़े समुदाय को 27 प्रतिशत, आदिवासियों को 28 प्रतिशत और दलितों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया। यह वादा पूरा किया जायेगा। सरकारी टेंडर में 25 करोड़ रुपये तक का काम स्थानीय लोगों को दिये जाने का वादा सरकार पहले ही पूरा कर चुकी है। युवाओं को रोजगार देने के वादे को भी सरकार धरातल पर उतारेगी।
सवाल : डीवीसी की ओर से राज्य में बिजली की कटौती की जा रही है। इससे लोग परेशान हैं, पार्टी का इसपर क्या रुख है?
जवाब : अपने कमांड एरिया में डीवीसी की ओर से की जा रही बिजली की कटौती गलत है। जब हम डीवीसी से हिसाब-किताब मांगने लगेंगे तो उसे दिक्कत हो जायेगी। अगर डीवीसी ने बिजली कटौती बंद नहीं की और अपना रवैया नहीं सुधारा तो पार्टी इस पर कड़ा रुख अख्तियार करेगी।
सवाल : हेमंत सरकार की एक साल की उपलब्धियां क्या रहीं ?
जवाब : हेमंत सरकार का एक साल उपलब्धियों से भरा रहा है। राज्य में बजट सत्र के तुरंत बाद विश्वव्यापी कोरोना महामारी आ गयी। पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। ऐसे समय में राज्य सरकार ने संयम से काम किया और सभी राज्यों से झारखंड का प्रदर्शन बेहतर कर दिखाया। दूसरे राज्यों में फंसे साढ़े आठ लाख प्रवासी भाई-बहनों को राज्य सरकार वापस लेकर आयी। उन्हें एयरलिफ्ट भी कराया। श्रमिकों को लेकर पहली ट्रेन देश में हैदराबाद से रांची पहुंची। कोरोना काल में 6500 दीदी किचन चलाया गया। इनसे जरूरतमंदों को सहूलियत हुई। सरकार ने 13 लाख 50 हजार घरों को एक महीने का राशन दिया। कोरोना को जब सांप्रदायिक बनाया जा रहा था, तब हेमंत सोरेन ने कहा था कि भाजपा महामारी को भी सांप्रदायिक बना रही है। उस वक्त चिकित्सा क्षेत्र के विशिष्ट जन, पारा मेडिकल, सफाइकर्मी, पुलिसकर्मी ने दिनरात एक किया और कोरोना के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। पूरे देश में झारखंड का रिकवरी रेट बेहतर और मृत्युदर बहुत कम रही। भोजन के साथ आश्रय भी दिया गया। एक-एक थाने से लोगों को भोजन करवाया गया।