COVID- 19 के चलते हुए लॉकडाउन में अनेक सेक्टरों पर काफी बुरा असर पड़ा। वहीं रियल एस्टेट भी इससे अछूता नहीं था। हालांकि इसे बूस्ट करने के लिए बाद में सरकार की ओर से कई उपाय किए गए।
रियल एस्टेट को बूस्ट करने के लिए सबसे जरूरी चीज है। कम ब्याज दर। रियल एस्टेट में निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा बैंकों से लिए गए कर्ज के माध्यम से है। कोरोना काल में बैंकों ने ब्याज दर घटा दिया। ये पिछले कई वर्षों की तुलना में सबसे कम स्तर पर है। इस दौरान कम ब्याज दर के चलते काफी लोगों ने रियल एस्टेट में निवेश को प्राथमिकता दी।
अब ये है मांगे :
रियल एस्टेट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत डिडक्शन की सीमा को बढ़ाए जाने की भी मांग हो रही है। गौरतलब है कि नवंबर 2020 में मोदी सरकार ने दो करोड़ तक की हाउसिंग यूनिट्स के सर्किल रेट में छूट को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 कर दिया है। इसके साथ ही कोरोना की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में भी डिजीटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उम्मीद है कि इस बजट में इससे भी जुड़ा कोई प्रावधान आ सकता है।
अटकती है डवलपर्स की पूंजी :
भारतीय उद्योग परिसंघ का मानना है कि ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) नहीं मिलने से रियल एस्टेट डवलपर्स की पूंजी अटक जाती है। संपत्तियों को व्यावसायिक किराए पर देने पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। निर्माण के दौरान आईटीसी नहीं मिलने से निर्माण की लागत भी अक्सर बढ़ जाती है। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर से ये भी मांग उठ रही है कि सर्किल रेट से कम दाम पर बिक्री पर इनकम टैक्स के नियमों में छूट की राहत को 30 जून 2021 की निर्धारित समय सीमा से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर देना चाहिए।