दशकों बाद कोयलांचल धनबाद की आबो-हवा बदली है। झारखंड राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार के एक साल और वैश्विक महामारी कोरोना काल के दस महीनों में धनबाद जिला के सभी छह विधानसभा क्षेत्र धनबाद, बाघमारा, झरिया, निरसा, टुंडी, सिंदरी विधानसभा तक बदलाव की बयार चरम पर है। राजनीतिक, सामाजिक, वैश्विक समीकरण बदलने के साथ विकास अब जुमला नहीं, बल्कि मुद्दा बन गया है। धनबाद कोयलांचल में हो रहे और होनेवाले बदलाव को लेकर हम चर्चा करेंगे और आपको बतायेंगे कि कैसे कभी धनबाद के गया पुल तक सिमटा गैंग आॅफ वासेपुर सिटी पर हावी है। कैसे टाइगर के नाम से विख्यात बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो का अभेद किला ढह रहा। आपको हम धनबाद के दो क्षत्राणी के रोमांचक राजनीतिक मुकाबले से भी रू-ब-रू करायेंगे और बतायेंगे कि कैसे बंदूक का युग खत्म हो रहा है। हम आपको यह भी बतायेंगे कि कैसे अपने ही गढ़ में भाजपा ढलान पर है। साथ ये भी बतायेंगे कि कैसे कांग्रेस के लिए पूर्णिमा नीरज सिंह रामबाण विकल्प हैंं। आइए शुरुआत करते हैं कि कैसे कभी लालखंड रहा धनबाद अब केसरिया के बाद हरा रंग में रंगने जा रहा है। कैसे धनबाद में अब लोगों की जुबान पर जेएमएम की चर्चा हो रही है! प्रस्तुत है धनबाद ब्यूरो हेड मनोज मिश्र की खास रिपोर्ट।

शहरों और कस्बों के छोटे से दायरे से निकल कर गांवों में कदम रखते ही दिशुम गुरु यानी शिबू सोरेन का जलवा है। संथाली भाषा में दिशुम का अर्थ है देश और दिशुम गुरु का मतलब देश का गुरु। पर संक्षेप में लोग उन्हें गुरु जी कहते हैं। चुनाव में लोग प्रत्याशी नहीं देखते, तीर धनुष चुनाव चिह्न देखते हैं और जेएमएम को वोट देते हैं। गांवों के बड़े-बुजुर्ग याद करते हैं कि गुरुजी ने सत्तर और अस्सी के दशक में आदिवासियों को जूझारू बना कर उन्हें किस तरह सूदखोरों के चंगुल से निकाला था और महाजनी प्रथा का अंत कराया था। कवरेज के लिए बाहर से गये पत्रकारों को बताते हैं कि उसी लड़ाई के गर्भ से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के रूप में राजनीतिक दल का उदय हुआ था, जिसके मुखिया शिबू सोरेन हैं। वे संथालों की जिंदगी में मसीहा बन कर आये थे। यदि आज का युवा देश के बाकी हिस्सों के लोगों से कदमताल कर रहा है, तो उसके पीछे गुरु जी का बड़ा योगदान है। वहीं शिबू सोरेन के बाद झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से युवा प्रभावित हैं। संथाली और हिंदी में बात करने की शैली, हाव-भाव से धनबाद के युवाओं के दिल में जेएमएम के प्रति उनकी दीवानगी बढ़ गयी है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गठन धनबाद में ही हुआ था, लेकिन धनबाद जिले के टुंडी विधानसभा को छोड़ कर किसी भी अन्य विधानसभा में जेएमएम की पकड़ मजबूत नहीं हुई। इसका मुख्य कारण धनबाद जिले में दशकों तक जेएमएम का बड़ा चेहरा नहीं होना भी है। दशक पहले सिंदरी विधानसभा में मासस और जेएमएम का टकराव सुर्खियां रहा, लेकिन बाद के दिनों में सिंदरी विधानसभा में जेएमएम कमजोर होता चला गया और सिमट कर छोटे दायरे में रह गया। वहीं धनबाद विधानसभा में जेएमएम विचारधारा के मुट्ठी भर लोग भी नहीं थे, जबकि दशक भर में निरसा विधानसभा में जेएमएम मजबूत होता चला गया। इधर, झरिया एवं बाघमारा विधानसभा में जेएमएम की मौजूदगी कांग्रेस और भाजपा के आगे बौनी ही रही। अब, जेएमएम की पैनी नजर धनबाद पर टिकी है। मिशन 2024 के तहत धीमी लेकिन ठोस रणनीति पर काम हो रहा है, जिसकी झलक अब दिखनी शूरू हो गयी। हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने पर मंगलवार 29 दिसंबर 20 को गोल्फ ग्राउंड रणधीर वर्मा स्टेडियम में आयोजित सरकारी जलसे पर भाजपा के दिग्गज की मौजूदगी जेएमएम के रणनीति का ही परिणाम है। यह तो बानगी भर है। साल 2021 की शुरुआत से ही जेएमएम की अलग ही तस्वीर नजर आने लगेगी। भारी संख्या में वकीलों, चिकित्सकों, प्रबुद्धों का समूह जेएमएम का दामन थामने वाला है। भाजपा को चौंकानेवाली खबर 2021 में देखने को मिल सकती है कि आखिर यह हुआ कैसे, यह तो हो ही नहीं सकता? कभी लालखंड रहा कोयलांचल धनबाद के लोग अब दशक बाद केसरिया रंग उतार कर हरे रंग में रंगने को कैसे तैयार हैं।
इधर, पंचायत चुनाव को पार्टी सिंबल पर कराने की भी चर्चा है। इसके साथ ही नगर निकायों का चुनाव भी होना है। जमीनी स्तर पर राजनीतिक दलों को अपनी पकड़ बनाने का यह बेहतरीन मौका मिलेगा। जेएमएम इस मौके को गंवानेवाला नहीं है। पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर राजनीति तथा रणनीति की बिसात भी बिछ रही है। झामुमो नेता वार्ड पार्षद, जिला परिषद सदस्य, मुखिया आदि से संपर्क में हैं। धनबाद में विस्तारवाद और ठोस विकासशील रणनीति से जेएमएम को मजबूत करने का श्रेय गुरु जी की प्रेरणा और हेमंत सोरेन के निर्देशन में झारखंड मुक्ति मोर्चा व्यावसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष अमितेश सहाय को जाता है।
जेएमएम के सफल रणनीतिकार बन कर उभर रहे अमितेश
अमितेश सहाय की कुशल रणनीति के कारण जेएमएम संगठन का धनबाद में विस्तार तेजी से हो रहा। कोयलांचल धनबाद के सभी छह विधानसभा इलाके में स्थानीय आदिवासियों-मूलवासियों के अलावा शहरी मतदाता भी सीएम हेमंत सोरेन को पसंद करते हैं। इनका कहना है कि एक सीएम, एक जनप्रतिनिधि के रूप में शहरों और गांवों का विकास करने की नैतिक जिम्मेदारी हेमंत सोरेन कर रहे हैं।
जिले के सभी छह धनबाद, सिंदरी, निरसा, बाघमारा, झरिया, टुंडी विधानसभा इलाके के विभिन्न स्थानों पर, तीन दर्जन से ज्यादा युवाओं से हमने बात की। सबकी बातें लगभग एक जैसी थीं। उनका कहना था कि यहां भाजपा के कई नेता आऊटडेटेड हो चुके हैं, उनका कहना था कि अब आगे बढ़ना है, तो जेएमएम को ही लाना होगा। उन्होंने बताया कि शहरों और कस्बों में भाजपा के लोग मोदी मैजिक से चमत्कृत दिखते हैं और राष्ट्रवाद और विकास योजनाओं की चर्चा करते हुए मिलते हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि धरातल पर कुछ भी नहीं करते।
धनबाद जिले के 18-25 साल के वोटरों की बात करें तो उनका कहना है कि जेएमएम के नेताओं ने यहां कभी आम लोगों को तंग नहीं किया। अमितेश सहाय, मथुरा महतो, अशोक मंडल, बिदेश दा समेत अन्य नेता एवं जेएमएम कार्यकर्ताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि क्षेत्र में इन्होंने अपने स्तर से जो विकास कार्य किये, उसके बारे में ज्यादा बात नहीं करते। परिवर्तन दिख भी रहा है, वह धरातल पर है, कहने की जरूरत नहीं है। अब, सबसे बड़ी उपलब्धि तब होगी जब धनबाद कोयलांचल से गुंडाराज को खत्म किया जायेगा। शुरुआत हेमंत सरकार ने कर दी है। जेएमएम समर्थकों की मानें तो धनबाद जिले की 26 लाख जनता ने अब गैंग आॅफ वासेपुर नाम से विख्यात धनबाद को बदलने की ठानी है। साल 2021 के भीतर भाजपा का गढ़ धनबाद जिला जेएमएम के दुर्ग में तब्दील हो जायेगा।
क्या धनबाद बन जायेगा जेएमएम का दुर्ग!
तीर-धनुष आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। पुरानी मांग है कि आदिवासियों को सार्वजनिक रूप से तीर-धनुष रखने की मान्यता दी जाये। ठीक वैसे ही जैसे सिखों को कृपाण रखने की आजादी मिली हुई है। इसका फायदा जेएमएम को मिलता रहा है, लेकिन धनबाद जिले के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों की बातें करें तो जनगणना-2011 के नये आंकड़े में राज्य भर की कुल जनजातीय आबादी करीब 86.45 लाख में धनबाद 17 वें स्थान पर है। धनबाद से अधिक पड़ोसी जिले बोकारो, जामताड़ा, गिरिडीह जिले मेंं जनजातीय आबादी है। धनबाद में कुल 26.84 लाख की आबादी है, जिसमें से नगरीय जनसंख्या धनबाद में 15.60 लाख है। वहीं धनबाद जिला में जनजातीय की आबादी 233119 है, जिसमें जनजातीय की ग्रामीण इलाके में आबादी 198079 तथा शहरी इलाके में महज पैंतीस हजार चालीस है। जिलों में शहरों में रहनेवाली जनजातीय आबादी बहुत कम है। ज्यादातर ट्राइबल अब भी ग्रामीण इलाके में ही हैं। जिले में आदिवासी बहुल 35 गांव ऐसे हैं, जहां 50 फीसदी संख्या आदिवासियों की है, जिनमें तोपचांची प्रखंड के लक्ष्मीपुर, टुंडी प्रखंड के डांडाटांड़, फतेहपुर, नवाटांड़, लुकैया, जाताखूंटी, कोल्डर, मछियारा, पूर्वी टुंडी प्रखंड के गोरेगांव, रघुनाथपुर और उकमा, निरसा प्रखंड के हिकिमाडाल, डोम भूई, मदनडीह, गंडुआ, सिजुआ और रामकनाली, गोविंदपुर प्रखंड के आमाघटा, कंचनपुर, बागदूडीह, बरईगढ़ा और झिरका, बाघमारा प्रखंड के तिलाटाड़ के साथ बलियापुर प्रखंड के गोपीनाथडीह एवं कुसबेरिया, केलियासोल प्रखंड के बिल्ली एवं बरबाडी, केथारडीह एवं लुचीबाद गांव, एगारकुंड प्रखंड के गोगना एवं बेलायाद गांव शामिल हैं।
इस लिहाज से देखा जाये, तो धनबाद कोयलांचल में जेएमएम की पैठ मजबूत करने के लिए ऐसे चेहरे की जरूरत थी, जो सवर्णों और व्यवसायियों में गहरी पैठ रखता हो। झामुमो व्यावसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष अमितेश सहाय जेएमएम का ऐसा चेहरा हैं, जो धनबाद में सवर्णों, व्यवसायियों में गहरी पैठ रखने के साथ ग्रामीण जनजातीय इलाके, मुसलमानों में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। अमितेश सहाय झारखंड इंडस्ट्री एंड ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हंै। इस लिहाज से उन्होंने अपनी काबिलियत की बदौलत दशकों से भाजपा के वोट बैंक माने जाने वाले व्यवसायियों को जेएमएम की ओर मोड़ दिया है। इन दिनों धनबाद व्यावसायिक संगठन तीन खेमे में बंट गया है, जिसमें बड़ा खेमा जेएमएम का है। अमितेश सहाय सवर्ण हैं और सवर्णों का बड़ा वर्ग इन्हें सपोर्ट करता है। एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा जो सामने आया, वह यह था कि मुख्यधारा के व्यापारियों के साथ समान रूप से बातचीत करने के लिए जेएमएम के बीच सामूहिक मजबूती की कमी थी। इस कमी को अमितेश सहाय ने पूरा कर दिया है, जिसका फायदा जेएमएम को होता दिखने लगा है।

दो दलीय प्रणाली जेएमएम-भाजपा की सैद्धांतिकी निर्मित करेगा आनेवाला चुनाव : अमितेश सहाय
साल 2024 में होनेवाला चुनाव दो दलीय प्रणाली जेएमएम-भाजपा की सैद्धांतिकी निर्मित करेगा। धनबाद जिले की सभी छह सीटों पर जेएमएम का परचम लहरायेगा। दशकों से सिद्धांतहीनता पर आधारित भाजपा की सैद्धांतिकी का सबसे बड़ा सिद्धांत अवसरवाद का समापन हो जायेगा। धनबाद जिले की धरती को हरा-भरा, उपजाऊ बनाने के लिए केसरिया की नहीं, बल्कि हरे रंग के उर्वरक की जरूरत है। जेएमएम धनबाद जिले की सभी छह विधानसभा को मॉडल विधानसभा बनाने के लिए कृत संकल्पित है। अपराधमुक्त, हाइटेक धनबाद सिटी की परिकल्पना लेकर जेएमएम काम कर रहा है। ये बातें झामुमो व्यावसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष अमितेश सहाय ने आजाद सिपाही संवाददाता से विशेष बातचीत में कहीं। उन्होंने बिना नाम लिये भाजपा प्रतिनिधियों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि किसी का कोई धर्म-ईमान नहीं है। कोई किसी के साथ नहीं है। सब सिर्फ अपने साथ हैं। कोई किसी के साथ जा सकता है। ऐसा सिर्फ सिद्धांतहीनता के कारण संभव हो पा रहा है। धर्मनिरपेक्षता इस दौर का सबसे दिलचस्प शब्द बन गया है। अमितेश सहाय ने बताया कि एक विशेष वर्ग को काफी तकलीफ है। कारण स्पष्ट है कि उनका भ्रम का मकड़जाल टूट रहा है। उन्होंने बताया कि भाजपा के लोग बाहरी- भीतरी का भ्रम, गांव-शहरी का भ्रम फैलाते रहे हैं। वह भ्रम जाल टूट गया है। धनबाद के लोगों ने भाजपा की नीति को परख लिया है और विदाई तय कर दी है। आगामी चुनाव में तय है कि जेएमएम के साथ भाजपा कहीं नहीं टिकेगी, विदाई हो चुकी होगी। कहा- जेएमएम बहुत मजबूती से उभर रहा है।
अमितेश सहाय ने कहा कि निरसा विधानसभा में साल 2019 के चुनाव में जेएमएम को 47 हजार वोट मिले, जो कि जेएमएम का सबसे बड़ा वोट है। निरसा विधानसभा में जेएमएम की पकड़ और मजबूत हुई है और आगे भी होगी। टुंडी जीते हैं और यह जीत कायम रहेगी। सिंदरी विधानसभा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जेएमएम ने फूलचंद मंडल पर विश्वास किया, लेकिन वे मुसलमानों के वोट का धुवीकरण निजी कारणों से नहीं कर पाये, फिर भी 35 हजार वोट लाये हैं। अमितेश ने कहा कि सिंदरी में जेएमएम मजबूत है और नये चेहरे के साथ मुसलमानों का भरोसा जीतेंगे। उन्होंने दावा किया कि समय के साथ होनेवाले आगामी 2024 विधानसभा चुनाव में निरसा और सिंदरी में सौ प्रतिशत जेएमएम जीतेगा। अमितेश सहाय ने धनबाद विधानसभा पर चर्चा करते हुए कहा कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 93 हजार, जबकि भाजपा को 1.27 हजार मत मिले। इसका मुख्य कारण रहा हिंदू वोट का धु्रवीकरण होना, लेकिन आगामी किसी भी चुनाव में हिंदू वोट का धु्रवीकरण जेएमएम की ओर होगा।
वहीं बाघमारा विधानसभा के बारे में कहा कि जेएमएम के आंदोलन, व्यवसायियों के आंदोलन के कारण ढुल्लू महतो की हालत पतली है। पिछले चुनाव में ही बाघमारा विधानसभा से उखाड फेंका गया है, भूलवश छह सौ वोट से जीते अब बाघमारा विधानसभा की जनता जाग चुकी है। ढ़्ुल्लू महतो का किला ढह चुका है।
अब जेएमएम बन रहा मतदाताओं की पसंद
अमितेश सहाय ने कहा कि सबको पता है कि मुसलमान भारतीय मतदाताओं का एक संगठित और निर्णायक समूह है, जिसका पूरा प्रयास होता है कि भारतीय जनता पार्टी को किसी न किसी तरह से हराया जाये। इसलिए कोई भी राजनैतिक दल, जिसे मुस्लिम वोटों की दरकार हो, चुनाव के पहले धर्मनिरपेक्ष रहता है और बीजेपी से गठबंधन करने से परहेज करता है। लेकिन, अब मुसलमान मतदाता समझदार हो गये हैं। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की पाठ को छोड़ दिया है और विकास के एजेंडे की पार्टी जेएमएम पर अपना भरोसा दिखाना शुरू कर दिया है। अमितेश ने कहा- सीएम हेमंत सोरेन पर सवर्णों, मुस्लिमों समेत सभी धर्म, जाति के लोगों ने विश्वास जताया है। तय है कि धनबाद की वह धरती जहां से जेएमएम निकल कर देश भर तक पहुंचा वह जेएमएम का अभेद्य दुर्ग बनेगा और धनबाद जेएमएम का जिला कहलायेगा।

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