Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, June 4
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»दरक रहा है भाजपा का हजारीबाग किला
    Jharkhand Top News

    दरक रहा है भाजपा का हजारीबाग किला

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJanuary 10, 2021No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    झारखंड के शहरों को कभी भाजपा का गढ़ कहा जाता था, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बदले सियासी माहौल में भगवा पार्टी के लिए यह प्रदेश बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। विधानसभा चुनाव में कोल्हान से सूपड़ा साफ होने के बावजूद भाजपा के लिए संतोष की बात यह थी कि पलामू और दक्षिणी छोटानागपुर में उसे अपेक्षित परिणाम हासिल हुआ। लेकिन उत्तरी छोटानागपुर के मुख्यालय हजारीबाग संसदीय क्षेत्र, जहां आज भी भाजपा की तूती बोलती है, के अधीन आनेवाले तीन विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव परिणाम अप्रत्याशित रहे। विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी की अंदरूनी राजनीति ने अब हजारीबाग में इसे खोखला करना शुरू कर दिया है। पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है और हालत यह हो गयी है कि इसके जिला स्तरीय नेता अब भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ से ही काम चला रहे हैं। पार्टी का जिला मुख्यालय, जिसका नाम बड़े ताम-झाम से अटल भवन रखा गया था, वीरान रहने लगा है। ऐसा लगता है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मतदाताओं की ओर से निश्चिंत हो चुके हैं कि उनके सामने भाजपा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक के सहारे जीत हासिल करने के बाद पार्टी के इसी अति आत्मविश्वास ने विधानसभा चुनाव में उसका बेड़ा गर्क कराया, जो पार्टी के लोग अब तक समझ नहीं पाये हैं। हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के अधीन आनेवाली पांच विधानसभा सीटों की ताजा राजनीतिक स्थिति और जिला भाजपा की अंदरूनी स्थिति का विश्लेषण करती आजाद सिपाही के ब्यूरो प्रमुख की खास रिपोर्ट।

    यदि झारखंड को कभी भाजपा का अभेद्य किला माना जाता था, तो हजारीबाग इसका एक मजबूत गढ़ के रूप में स्थापित था। एकाध चुनाव को छोड़ कर अमूमन हजारीबाग संसदीय सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा है। 2019 के चुनाव में जयंत सिन्हा की भारी जीत के बाद ऐसा कहा जाने लगा था कि यहां लड़ाई केवल वोट के अंतर की है। लेकिन महज छह महीने बाद दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय सीट के तहत आनेवाले पांच विधानसभा क्षेत्रों के परिणाम ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया। लोकसभा चुनाव में सभी पांच क्षेत्रों में जहां भाजपा ने भारी बढ़त ली थी, वहीं विधानसभा चुनाव में उसे महज दो सीट ही मिल सकी। इसमें भी मांडू सीट भाजपा इसलिए जीत सकी, क्योंकि चुनाव से एन पहले जयप्रकाश भाई पटेल झामुमो छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये। उनके साथ स्व टेकलाल महतो का परंपरागत वोट था। इस जीत में भाजपा की भूमिका बहुत अधिक नहीं थी।
    बात शुरू करते हैं भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी के गढ़ रामगढ़ से। लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा को 99 हजार से अधिक वोटों की बढ़त मिली थी। रामगढ़ को आजसू और खास कर चंद्रप्रकाश चौधरी का वह गढ़ माना जाता था, जिसे भेद पाना किसी के लिए भी असंभव था। लेकिन विधानसभा चुनाव में चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी एक अनाम सी कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी से 28 हजार से अधिक मतों से हार गयीं। भाजपा के लिए शर्मनाक बात यह रही कि यहां पर उसका प्रत्याशी तीसरे नंबर पर था। यानी उसका प्रत्याशी रेस में शामिल भी नहीं हो सका। आजसू प्रत्याशी की हार का सबसे अहम पहलू यह रहा कि लोकसभा चुनाव में आजसू की मदद से भाजपा को यहां से जितनी बढ़त मिली थी, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को उससे भी अधिक वोट मिले।
    रामगढ़ के पास बड़कागांव सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी दिया, लेकिन तमाम कोशिशों के यहां भी पार्टी का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा। कांग्रेस ेउम्मीदवार अंबा प्रसाद यहां से बंपर वोट से जीतीं। बरही से कांग्रेस के सीटिंग विधायक मनोज यादव को चुनाव से ठीक पहले अपने पाले में कर भाजपा इस सीट पर कब्जे का सपना देखने लगी थी। सारे समीकरण भी मनोज यादव के पक्ष में थे। वह खुद धाकड़ नेता माने जाते हैं। कार्यकर्ताओं की उनके पास लंबी फौज है। पैसे से भी वह कमजोर नहीं हैं और उन्हें जीताने के लिए सांसद अन्नपूर्णा देवी ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। लेकिन चुनाव में वह 11 हजार से अधिक मतों के अंतर से हार गये। आज वह न भाजपा में फिट हो रहे हैं और न कांग्रेस में उनकी वापसी संभव हो पा रही है। हजारीबाग सदर सीट से भाजपा के मनीष जायसवाल ने 51 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत जरूर हासिल की, लेकिन उनकी जीत में भाजपा की कितनी भूमिका थी, यह जांच का विषय है। जेपी पटेल की तरह मनीष जायसवाल की निजी छवि और संसाधन ने उनकी बड़ी जीत सुनिश्चित करायी। इन पांच सीटों के अलावा जिले की एक और सीट बरकट्ठा से भाजपा दिग्गज जानकी यादव को एक निर्दलीय अमित यादव ने हरा दिया। अमित यादव भाजपा के ही सिपाही थे और टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव में अपना भाग्य आजमाया।
    इन पांच विधानसभा सीटों का चुनाव परिणाम साबित करता है कि भाजपा का हजारीबाग किला ढहा नहीं, तो इसकी दीवारों में दरार जरूर पैदा हो गयी है। लेकिन विडंबना यह है कि भाजपा के स्थानीय नेता इस परिणाम से तनिक भी नहीं चेते। यहां तक कि चुनाव खत्म होने के एक साल बाद भी भाजपा के लोग अब तक अपनी तेजी से खो रही जमीन को दोबारा हासिल करने के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे। आज हजारीबाग जिला भाजपा की स्थिति यह है कि यहां के नेता और कार्यकर्ता जनता से जुड़ने की बजाय व्यक्ति परिक्रमा को अधिक तरजीह दे रहे हैं। पार्टी का जिला कार्यालय अटल भवन कई-कई दिनों तक आगंतुकों की आस में आंसू बहाता रहता है। जब कभी सांसद जयंत सिन्हा हजारीबाग आते हैं, यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने आते हैं। पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष टुन्नू गोप के कार्यकाल में यहां हर दिन नेताओं-कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगता था और कई आयोजन भी होते थे। लेकिन वर्तमान जिलाध्यक्ष अशोक यादव के साथ कार्यकर्ता सहज नहीं हो पा रहे। पार्टी के तमाम पदाधिकारियों और बड़े नेता घरों से ही अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। पार्टी नेताओं की इस निष्क्रियता पर पुराने और समर्पित भाजपाई कटाक्ष भी करते हैं कि कोरोना के कारण पार्टी नेता ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे हैं।
    भाजपा के पुराने कार्यकर्ता कहते हैं कि यही हालत रही, तो पार्टी का यह किला पूरी तरह ढह जायेगा। जनता से जुड़ने की बजाय पार्टी लोगों से विमुख होती जा रही है। इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। पार्टी में असंतोष की भावना भी घर कर रही है। भाजपा ने यहां से अशोक यादव को अध्यक्ष तो बना दिया है, लेकिन वह मनोज यादव, मनीष जयसवाल, जेपी पटेल या अन्य भाजपा नेताओं को आदेश देने की स्थिति में नहीं हैं। ये लोग राजनीति में उनसे काफी भारी हैं। लिहाजा उनकी अध्यक्षता में होनेवाले कार्यक्रमों में आने से पहले वे अपनी पोजिशन को लेकर बार-बार सोचते हैं।

    Hazaribagh fort of BJP
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleअब जूता चलाएगा गोली, बॉर्डर पर रोकेगा घुसपैठ, जानिए क्या है और इसकी खासियत
    Next Article कांग्रेस को संजीवनी बूटी की जरूरत
    azad sipahi desk

      Related Posts

      झारखंड बंद को लेकर समर्थक सड़क पर उतरे, पुलिस अलर्ट

      June 4, 2025

      झारखंड बंद का जमशेदपुर में कोई असर नहीं

      June 4, 2025

      मानगो के एक फ्लैट से लाखों की चोरी, पुलिस जांच में जुटी

      June 4, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • देश में कोरोना के मामले बढ़कर हुए 4,302, पिछले 24 घंटे में 7 लोगों को मौत
      • आईपीएल खिताब जीतने पर कोहली ने कहा-ये जीत आत्मा को सुकून दे रही है
      • 17 साल का सूखा खत्म, आरसीबी बनी आईपीएल चैंपियन, फाइनल में पंजाब को 6 रन से हराया
      • पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया घूम कर स्वदेश लौटे अभिषेक, विदेशमंत्री की बैठक से बनाई दूरी
      • गाजा में जीएचएफ ने मानवीय सहायता का वितरण रोका
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version