नई दिल्ली। भाजपा ने गुरुवार को 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों और नेशनल काउंसिल मेंबर्स के चुनाव होने हैं। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को बिहार और शिवराज सिंह चौहान को कर्नाटक और पीयूष गोयल को उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को गुजरात, पीयूष गोयल को उत्तर प्रदेश और धर्मेंद्र प्रधान को मध्य प्रदेश के लिए चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। ये इन राज्यों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेशनल काउंसिल मेंबर्स का चुनेंगे।
28 दिसंबर को भाजपा की बैठक हुई थी
संगठन चुनाव को लेकर 28 दिसंबर को दिल्ली में पार्टी की बैठक हुई थी। लद्दाख भाजपा महासचिव पीटी कुंजांग ने बताया था कि पार्टी के संविधान के मुताबिक 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन के चुनाव पूरे कराने हैं। 15 जनवरी तक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाएंगे।
इसके अलावा राज्यों में जिला अध्यक्षों का चुनाव भी किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी और जनवरी अंत तक भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा की जाएगी।
पद के लिए आयु सीमा तय, युवाओं को अहमियत भाजपा अपने संगठन में युवाओं को महत्व देने के लिए पहले ही आयु सीमा तय कर चुकी है। इसके लिए जिलों के भीतर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्ष की उम्र 35 से 45 साल के बीच निर्धारित की गई है।
वहीं, जिलाध्यक्ष की उम्र 45 से 60 साल के बीच होगी। जिलाध्यक्ष के लिए संगठन में 7 से 8 साल तक काम करने का अनुभव भी जरूरी किया गया है। इनका चुनाव 15 जनवरी तक पूरा कराए जाने का लक्ष्य है।
लगातार दो बार मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष रह चुके व्यक्ति को तीसरी बार मौका नहीं मिलेगा। साथ ही तय हुआ है कि संगठन के किसी पद पर काम कर रहे व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा।
अक्टूबर में नियुक्त हुए थे चुनाव अधिकारी
भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के एलान के दिन (15 अक्टूबर) ही पार्टी के आंतरिक चुनावों के लिए अधिकारी नियुक्त किए थे। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तेलंगाना से राज्यसभा सांसद डॉ. के लक्ष्मण को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाया था। लक्ष्मण 2020 से OBC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसके अलावा नरेश बंसल, रेखा वर्मा, संबित पात्रा को राष्ट्रीय सह चुनाव अधिकारी बनाया गया था। पार्टी के सभी राष्ट्रीय महासचिवों और दूसरे पदाधिकारियों को अलग-अलग राज्यों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था।