“राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए मांग की कि केंद्र सरकार को इस मामले की जांच सीबीआई या अन्य समुचित एजेंसी से करानी चाहिए। गौरतलब है कि नजीब 15 अक्तूबर से लापता है। एक रात पहले ही उसका परिसर में अभाविप सदस्यों के साथ कथित तौर पर विवाद हुआ था।”
तृणमूल कांग्रेस के विवेक गुप्ता ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि राजनीतिक प्रतिशोध की घटनाओं में वृद्धि हो रही है और नजीब के मामले में भी कारण यही है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि 15 अक्तूबर से लापता नजीब को खोजने के लिए क्या कोई विशेष कदम उठाए गए हैं।
इस मामले में जेएनयू प्रशासन पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए गुप्ता ने कहा कि क्या नजीब लापता व्यक्तियों के आंकड़ों का एक हिस्सा बन कर रह जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस घटना में कथित तौर पर संलिप्त अभाविप छात्राेें से अब तक कोई पूछताछ तक नहीं की गई। यहां तक कि जेएनयू के कुलपति ने नजीब की मां से मिलने से भी इंकार कर दिया।
गुप्ता ने कहा यह सीधे सीधे राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। हम देख रहे हैं कि देश में राजनीतिक प्रतिशोध कैंसर की तरह फैल रहा है।
उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को इस मामले की जांच सीबीआई या अन्य समुचित एजेंसी से करानी चाहिए ताकि नजीब का पता लगाया जा सके।
गुप्ता ने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध गंभीर मुद्दा है और सरकार को इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के ही के डेरेक ओ ब्रायन ने अमेरिका के एच1 बी वीजा कार्यक्रम में बदलाव से भारतीय पेशेवरों और भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के हितों को होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारतीय पेशेवर किसी भी पहचान के मोहताज नहीं हैं और वे विश्व स्तरीय पेशेवर हैं। लेकिन अमेरिका के एच 1 बी वीजा कार्यक्रम में बदलाव से भारतीय पेशेवरों और भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने मांग की कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
कांग्रेस के डाॅॅ. टी सुब्बीरामी रेड्डी ने जंगलों में लगने वाली आग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले वर्ष एेसी घटनाओं के कारण 13 राज्यों में जंगलों का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया। इससे न केवल पर्यावरण पर असर पड़ा बल्कि पारिस्थितिकी भी प्रभावित हुई है।
जदयू के शरद यादव ने रेलवे में इंजीनियरों की भर्ती का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन इंजीनियरों को जूनियर इंजीनियर के तौर पर भर्ती किया जाता है और उन्हें सी ग्रेड मिलता है। वह आजीवन इसी ग्रेड में काम करते हैं और उन्हें कोई पदोन्नति नहीं मिलती जबकि अन्य विभागों में जूनियर इंजीनियर को बी ग्रेड तथा पदोन्नति मिलती है।
यादव ने कहा कि रेलवे में सुरक्षा के क्षेत्र में इन इंजीनियरों का बड़ा योगदान होता है इसलिए इन इंजीनियरों की समस्या पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए और यह असमानता दूर की जानी चाहिए।
जाॅय अब्राहम ने यमन में पिछले साल आतंकी समूह द्वारा बंधक बनाए गए केरल के पादरी फादर टाॅम उझनालिल का मुद्दा उठाया और उनकी रिहाई के लिए पूरे सदन से मदद की मांग की।
उन्होंने कहा कि एेसा लगता है कि फादर टाॅम की जान खतरे में है और उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है। सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
इस पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे पर बयान दिया था और निश्चित रूप से यह मुद्दा उठाया जा रहा है। फादर टाॅम भारतीय नागरिक हैं और यह हम सबके लिए चिंता का विषय है कि अब तक उन्हें रिहा नहीं कराया जा सका है।
उपसभापति पी जे कुरियन ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से कहा कि वह विदेश मंत्री को सदस्योंं की चिंताओं से अवगत कराएं।
तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने देश को पदक जीत कर गौरवान्वित करने वाले पूर्व खिलाडि़यों के वित्तीय अभाव में होने का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि स्वर्ण सिंह, यूसुफ खान, माखन सिंह, शांति देवी, सीता साहू जैसे खिलाडि़यों के नामों की सूची लंबी है। ये वे पूर्व खिलाड़ी हैं जिन्होंने अंतरराष्टीय खेल स्पर्धाओं में पदक जीते और देश को गौरवान्वित किया लेकिन आर्थिक संकट के कारण वे परेशानी में जीवन बिता रहे हैं और इन पूर्व खिलाडि़यों के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए।
राजद के प्रेमचंद गुप्ता ने इस मुद्दे पर बहस की मांग की।
इसके बाद सदस्यों ने विशेष उल्लेख के जरिये लोकमहत्व के विभिन्न मुद्दे उठाए।
कांग्रेस के के सी राममूर्ति ने लिंग असमानता का मुद्दा उठाते हुए कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद भारत को इस क्षेत्र में समानता लाने के लिए लंबा सफर तय करना है। इसके लिए शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए तथा व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि सामाजिक सोच में बदलाव लाया जा सके।
तृणमूल कांग्रेस के विवेक गुप्ता ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्राी कहते हैं कि भारत की ताकत उसके संघीय चरित्र में है और केंद्र राज्यों के मामले में दखल नहीं देता। लेकिन एेसा नहीं है। एेसे कई उदाहरण हैं जिनसे जाहिर होता है कि केंद्र राज्यों से परामर्श किए बिना ही फैसले करता है।
इसी बीच उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि हंगामे वाले दिनों की तुलना में सदन में सार्थक और बेहतर कामकाज हुआ है। कुरियन का इशारा शीतकालीन सत्र की ओर था जिसमें हंगामे के चलते कामकाज बाधित हुआ था।
कुरियन ने कहा इसी तरह काम होना चाहिए। यह हमारे लिए अच्छा होगा।