आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि भाजपा पूरी तरह से बेइमानी पर उतर आयी है। जेवीएम के छह विधायकों के बारे में विधानसभा अध्यक्ष का फैसला 10वीं अनुसूची की भावना के खिलाफ है। उनका निर्णय संविधान के प्रतिकूल है। ऐसे में भाजपा नेताओं को चाहिए कि वे 10वीं अनुसूची को आग में जला दें। आखिर इसकी क्या जरूरत है। बाबूलाल मरांडी शनिवार को जेवीएम प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
चार साल तक सुनवाई करने का क्या औचित्य था
बाबूलाल ने कहा कि झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल मामले में ऐसी नजीर पेश की है कि आनेवाले समय में भाजपा नेता रोयेंगे। जिन पर कानून बनाने की जिम्मेदारी है, अगर वही कानून से खेलने लगेंगे, तो फिर कानून पालन की किससे अपेक्षा की जाये। अगर यही करना था तो फिर चार साल तक इस पर सुनवाई करने का क्या औचित्य था। क्या वह हमें इतना बेवकूफ समझते हैं।
वाजपेयी के बनाये कानून को आज भाजपा के नेता ही तोड़ रहे
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में यह प्रावधान आया था कि विधायक जिस रूप में चुने जायेंगे, उन्हें उसी रूप में रहना होगा। उससे पहले एक तिहाई विधायक मिल कर अलग हो जाते थे, तो उन्हें मान्यता मिल जाती थी। इसको बंद करने के लिए उस समय कानून बना। तब अरुण जेटली विधि मंत्री थे। वाजपेयी के बनाये कानून को आज भाजपा के नेता तोड़ रहे हैं। इस फैसले के पीछे भाजपा की पूरी टीम लगी है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ वह दो-चार दिन के अंदर हाइकोर्ट जायेंगे। अगर वकील ने राय दी तो वह विधानसभा अध्यक्ष को भी पार्टी बनायेंगे। इस मामले को जनता की अदालत में भी ले जायेंगे और भाजपा को बेनकाब करेंगे।
विधानसभा ने फैसले की प्रति भेजी मरांडी को, जेवीएम अध्यक्ष बताया
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधानसभा ने फैसले की जो प्रति भेजी है, उसमें हमें जेवीएम का अध्यक्ष और प्रदीप यादव को पार्टी विधायक दल का नेता बताया है। अब जब विधानसभा अध्यक्ष खुद आज भी हमें जेवीएम का केंद्रीय अध्यक्ष मानते हैं, तो पार्टी का विलय कहां हुआ। बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाया कि क्या सिर्फ विधायक के दल-बदल को पार्टी का विलय माना जा सकता है? उन्होंने छह विधायकों और तत्कालीन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र को दिखाते हुए कहा कि इन सबने विधायकों का हवाला देकर ही जेवीएम का भाजपा में विलय की बात कही है। ऐसे में स्पष्ट है कि जेवीएम संगठन ने विलय नहीं किया है।