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    Home»Top Story»प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के चर्चे हर जुबान पर
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    प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के चर्चे हर जुबान पर

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskFebruary 4, 2020No Comments6 Mins Read
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    राजनीति में परिस्थितियां कब किस नेता को घर बदलने पर मजबूर कर दें यह कहना मुश्किल है। पर जब ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती हैं तो नेताओं के घर बदलने को लेकर चर्चाओं का दौर भी शुरू हो जाता है। पर घर बदलना सबके लिए शुभ नहीं होता। विधानसभा चुनाव से पहले कुणाल षाडंगी ने घर बदला पर उन्हें जनता ने स्वीकार नहीं किया। मनोज यादव भी हार गये। पर डॉ शशिभूषण मेहता और भानु प्रताप शाही के लिए घर बदलना शुभ रहा। लोकसभा चुनाव में अन्नपूर्णा देवी भी घर बदलकर सांसद बनने में सफल रहीं। अब घर बदलने की चर्चाएं बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की चल रही हैं। इन नेताओं के दूसरे दल में शामिल होने की चर्चाओं और उससे बनते-बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर सबको मालूम है और खबर हो गयी गाने की तरह झारखंड की राजनीति के गलियारों में झाविमो से निष्कासित बंधु तिर्की और पार्टी के विधायक दल के नेता प्रदीप यादव चर्चा में विभिन्न कारणों से बने हुए हैं। प्रदीप यादव की चर्चा जहां लोकसभा चुनाव में उनके हारने और फिर लोकसभा चुनाव के बाद केस-मुकदमे में फंसकर जेल जाने और अब कांग्रेस में शामिल होने की कवायदों को लेकर है तो बंधु तिर्की की चर्चा आय से अधिक संपत्ति हासिल करने के एक मामले में उनके जेल जाने।
    मांडर से देवकुमार धान को हराकर चुनाव लड़ने और जीतने तथा बाद में झाविमो से निष्कासित किये जाने और कब कांग्रेस में शामिल होने की खबरों को लेकर हो रही है। दोनों नेताओं के नई दिल्ली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार इन बातों से गर्म हुआ कि दोनों नेताओं ने कांग्रेस ज्चाइन कर लिया है और जल्दी ही इनमें से किसी एक को झारखंड में मंत्री पद से नवाजा जा सकता है। हालांकि उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबरें महज अटकल साबित हुई। पर इस खबर से कांग्रेस के कुछ नेताओं के कान खड़े हो गये और उन्होंने प्रदीप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रदीप यादव के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों से नाराज जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी ने बयान जारी करते हुए कहा कि वे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और संथाल परगना में पार्टी का चेहरा भी। पार्टी को मजबूत स्थिति में लाने में जिन लोगों ने दिन-रात मेहनत की है उनकी भावनाओं को दरकिनार कर प्रदीप यादव को सीधे दिल्ली से पार्टी में शामिल कराया जा रहा है।
    इससे पहले भी प्रदीप यादव ने गोड्डा से जबरन महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा था और फजीहत करवायी थी। कुछ लोग दिल्ली से झारखंड कांग्रेस को चलाना चाहते हैं, ऐसे लोगों की अब नहीं चलेगी। प्रदीप यादव की शुरूआती ट्रेनिंग आरएसएस में हुई है और कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। इरफान ने कहा कि वे झाविमो के रिजेक्टेड माल हैं और भाजपा ने भी उन्हें स्वीकार नहीं किया है।

    इसलिए कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं दोनों नेता
    प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की सबसे अधिक चर्चा उनके कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों को लेकर हो रही है। पर वे झाविमो से अचानक कांग्रेस में शामिल होने को उत्सुक क्यों हुए इसे समझना जरूरी है। इस कहानी की शुरूआत तब हुई जब झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में झाविमो 81 सीटों पर लड़ी और केवल तीन सीटें जीतने में सफल रही। इस चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद भाजपा को एक कद्दावर नेता की जरूरत महसूस हुई और पार्टी आलाकमान ने बाबूलाल को पार्टी का भाजपा में विलय करने के लिए मना लिया। दलबदल कानून के झंझटों से बचने और प्रदीप यादव तथा बंधु को अपनी मनमुताबिक पार्टी में जाने का समय और अवसर देते हुए बाबूलाल मरांडी ने दोनों को अपने भाजपा में शामिल होने की कहानी बता दी। इसके बाद दोनों नेताओं ने तय किया कि वे कांग्रेस में जायेंगे क्योंकि कांग्रेस उनकी राजनीति के मिजाज को तो सूट करती ही है झारखंड की सत्ता में भागीदार रहने के कारण यहां दोनों नेताओं में से किसी एक को मंत्री पद भी मिल सकता है। अब इस समीकरण को भी समझना होगा कि आखिर कांग्रेस इन दोनों नेताओं को पार्टी में क्यों शामिल कराना चाहती है। दरअसल, महागठबंधन के भागीदार के रूप में कांग्रेस झारखंड में अपने पांव मजबूत करना चाहती है। महागठबंधन में उसकी सहयोगी झामुमो के पास तीस विधायक हैैं वहीं कांंग्रेस महज 16 विधायकों वाली पार्टी है। ऐसे में झामुमो की तुलना में उसका कद तुलनात्मक रूप से छोटा है। इन दोनों विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 18 हो जायेगी और महागठबंधन सरकार में बचे एक मंत्री पद पर दावा करना कांग्रेस के लिए आसान हो जायेगा। कांग्रेस इसलिए इन दोनों नेताओं को पार्टी में शामिल कराना चाहती है। इसके अलावा प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की राजनीति की जो लाइन है वह कांग्रेस के लिए सूटेबल है इसलिए कांग्रेस के सामने कोई दिक्कत भी पेश नहीं आयेगी। अब यह भी समझना होगा कि आखिर डॉ इरफान अंसारी प्रदीप यादव के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं। दरअसल, यदि प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल होते हैं तो उन्हें एक मंत्री पद देना कांग्रेस की मजबूरी हो जायेगी। इस मंत्री पद पर डॉ इरफान अंसारी की नजरें भी लगी हुई हैं। प्रदीप यादव एक कद्दावर नेता हैं और उनके आने से डॉ इरफान अंसारी की राजनीति की पिच प्रभावित होगी। प्रदीप यादव के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद मंत्री पद के लिए सोचना भी डॉ इरफान अंसारी के लिए मुश्किल होगा इसलिए वे बंधु तिर्की पर तो कुछ नहीं कह रहे पर प्रदीप यादव का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

    अभी कुछ नहीं कहेंगे
    दोनों नेताओं के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाबत जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव से पूछा गया तो उन्होंने साफ कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। श्री उरांव ने कहा कि दोनों नेताओं ने दिल्ली में पार्टी आलाकमान से बात की है। ऐसे में दोनों के शामिल होने पर फाइनल मुहर दिल्ली में ही लगेगी। अभी यह कहना मुश्किल है कि दोनों नेता कांग्रेस ज्वाइन करेंगे या नहीं। आज तक तो उन्होंने नहीं किया है। प्रदेश स्तर पर इस संबंध में कुछ नहीं हुआ है। डॉ रामेश्वर उरांव के बयान से यह जाहिर है कि दोनों नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की डील रांची से नहीं बल्कि सीधे दिल्ली से हुई है और दोनों नेता जल्द की कांग्रेस के खेमे में नजर आयेंगे। इधर, इनके कांग्रेस में जाने से बाबूलाल मरांडी की पार्टी की भाजपा में विलय की राह आसान हो जायेगी।
    रही बात डॉ इरफान अंसारी के विरोध की तो कांग्रेस में उनके विरोध के स्वर को दरकिनार कर दिया जायेगा इसकी संभावना अधिक है। झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि दोनों नेता बहुत जल्द कांग्रेस में शामिल हो जायेंगे। कांग्रेस पार्टी इनके पार्टी ज्वाइन करने की औपचारिकताएं पूरी करने में लगी हुई है। दिल्ली में ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करेंगे और एक बार फिर दोनों नेताओं की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय बनेगी।

    Discussions of Pradeep Yadav and brothers Tirkey on every tongue
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