वाकया 26 अगस्त 2019 का है। नौ अगस्त को झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद से डॉ अजय कुमार के इस्तीके के बाद जब सोनिया गांधी झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए संभावित उम्मीदवारों पर विचार कर रही थीं, तो उन्होंने झारखंड में अपने सबसे विश्वसनीय सिपहसलारों में से एक डॉ रामेश्वर उरांव पर यकीन करने का निश्चय किया। इसके बाद पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से एक पत्र जारी हुआ, जिसमें झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में डॉ रामेश्वर उरांव और पांच कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में केशव महतो कमलेश, इरफान अंसारी, राजेश ठाकुर, मानस सिन्हा और संजय पासवान के नाम थे। सोनिया गांधी के यकीन पर खरा उतरते हुए डॉ रामेश्वर उरांव न सिर्फ पार्टी को झारखंड में पुनर्जीवित करने में सफल रहे, बल्कि पार्टी की आंतरिक गुटबाजी को भी उन्होंने बहुत हद तक समाप्त कर दिया और अब उनके नेतृत्व में कांग्रेस झारखंड में अपने गौरवशाली दिनों की ओर लौटती दिख रही है। डॉ रामेश्वर उरांव के नेतृत्व में पार्टी के कायापलट और वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करने की कोशिशों पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।
डॉ रामेश्वर उरांव कर रहे हैं संगठन की मॉनिटरिंग
73 साल के डॉ रामेश्वर उरांव ने जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ अजय कुमार के इस्तीफे के बाद झारखंड कांग्रेस की कमान संभाली, तब शायद ही किसी को इसका अंदाजा था कि वे बड़ी जल्दी पार्टी को ट्रांसफॉर्म कर देंगे। पर उन्होंने यह किया और बखूबी किया। यह उनके और पार्टी नेताओं के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत का नतीजा था कि 23 दिसंबर को जब झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आये, तो 16 सीटों पर कांग्रेस पार्टी को जीत मिली। इससे पहले झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से सात पर उम्मीदवार उतारनेवाली कांग्रेस गीता कोड़ा के रूप में सिंहभूम से एक सांसद हासिल करने में सफल हो चुकी थी। जिस दिन से डॉ रामेश्वर उरांव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला, उन्होंने बयानबाजी कम की और जमीनी स्तर पर काम करते हुए बहुत कम समय में पार्टी को झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तैयार कर दिया।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेवारी का निर्वाह तो उन्होंने किया ही, लोहरदगा सीट पर सुखदेव भगत को हराकर यह सीट भी उन्होंने कांग्रेस के नाम कर दी। हालांकि इस जीत में पार्टी के राज्यसभा सांसद धीरज साहू की भी अहम भूमिका थी।
सोनिया के नेतृत्व में काम कर रहे हैं डॉ रामेश्वर उरांव
झारखंड की महागठबंधन सरकार में वित्त विभाग का कामकाज संभाल रहे डॉ रामेश्वर उरांव सोनिया गांधी के करीबी हैं। राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से हटने के बाद जब सोनिया को झारखंड में कांग्रेस की स्थिति डांवाडोल दिखी, तो डॉ अजय के इस्तीफे के बाद उन्होंने अपने विश्वसनीय सिपहसलार डॉ रामेश्वर उरांव पर भरोसा जताया। इसके साथ ही कांग्रेस में सांगठनिक सत्ता का विक्रेंद्रीकरण करते हुए उन्होंने पांच कार्यकारी अध्यक्ष बनाये। इसका परिणाम यह हुआ कि झारखंड में सोनिया के मार्गदर्शन में डॉ रामेश्वर उरांव ने काम करना शुरू कर दिया।
उन्होंने गांव-गांव गली-गली घूमकर जहां पार्टी का जनाधार मजबूत किया, वहीं कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी जमीनी स्तर पर काम करने को कहा। उनकी यह मेहनत रंग लायी और कांग्रेस ने झारखंड विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब झाविमो बिखरने लगा, तो कांग्रेस में आरपीएन सिंह ने पार्टी को विस्तार देने की रणनीति पर काम किया। 19 फरवरी को जब बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए, तो उसी दिन बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। हालांकि प्रदीय यादव की पार्टी में इंट्री का डॉ इरफान अंसारी ने विरोध किया, पर आलाकमान की नसीहत के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली। झारखंड की पांचवीं विधानसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या 16 से बढ़कर 18 हो गयी और महागठबंधन की सरकार में कांग्रेस का एक और मंत्री पद का दावा और मजबूत हो गया। डॉ रामेश्वर उरांव यहीं चुप नहीं बैठे। उन्होंने सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में झारखंड में सदस्यता अभियान शुरू किया और पहले ही दिन पांच सौ से अधिक सदस्य बनाये।
ऐसे किया पार्टी को ट्रांसफॉर्म
आइपीएस अधिकारी के रूप में एडीजी की भूमिका का निर्वाह कर चुके डॉ रामेश्वर उरांव की छवि एक सहज और सरल नेता की है। सच बोलनेवाले और जमीन पर काम करनेवाले नेता के रूप में उनकी पहचान है। झारखंड के आदिवासी समुदाय में उनकी पकड़ अच्छी है और वे कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के मिजाज से भी वाकिफ हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते ही उन्होंने न सिर्फ पार्टी में गुटबाजी खत्म कर दी, बल्कि तीन महीने बाद दिसंबर में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गये। डॉ रामेश्वर उरांव ने सबसे पहले कांग्रेस के वरीय नेताओं सुबोधकांत सहाय, ददई दुबे, फुरकान अंसारी, केएन त्रिपाठी और बन्ना गुप्ता जैसे नेताओं का दिल जीता और पूरी ताकत से कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार करने में जुट गये। उन्होंने कार्यकर्ताओं का भरोसा जीता और एक-एक कार्यकर्ता से संवाद किया। उनकी यह मेहनत रंग लायी और पार्टी को उल्लेखनीय सफलता मिली।
मेहनत रंग लायी
डॉ रामेश्वर उरांव ने बताया कि झारखंड में कांग्रेस पार्टी के रिवाइवल के पीछे पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत और सोनिया गांधी का मार्गदर्शन है। हमने जमीन पर काम किया और कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत लगायी, तो नतीजा अच्छा निकला। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लायी है। पार्टी ने संगठन स्तर पर खुद को मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया है। बीती दफा हमने साढ़े पांच लाख नये सदस्य बनाये थे। इस बार हमने 15 लाख नये सदस्य बनाने की बीड़ा उठाया है। पार्टी का सदस्य बनने के लिए सदस्यता शुल्क सिर्फ पांच रुपये रखा गया है। 12 फरवरी को इसकी लांचिंग हुई और इसके परिणाम अच्छे आये हैं। पार्टी 28 फरवरी तक राज्य के पांचों प्रमंडलों में सदस्यता अभियान की शुरुआत कर देगी। सदस्यता अभियान को सफल बनाने की जिम्मेवारी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और जोनल को-आॅर्डिनेटर को दी गयी है। पार्टी पांचों प्रमंडलों में सार्वजनिक स्थानों पर शिविर लगाकर सदस्यता अभियान को सफल बनायेगी। सूचना तकनीक के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए पार्टी डिजिटल प्रणाली से भी नये सदस्य बनाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस दफा पार्टी का सदस्य बनने के लिए लोग खासे उत्साहित हैं। यह कांग्रेस के लिए शुभ संकेत है।
2024 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस
झारखंड में कांग्रेस पार्टी अपनी दीर्घकालीन रणनीति के तहत वर्ष 2024 के चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। पार्टी का लक्ष्य आनेवाले दिनों में कांगे्रस को उस ऊंचाई पर पहुंचाना है, जहां वह अपने दम पर झारखंड में सरकार बनाने में सफल हो सके। पार्टी का सदस्यता अभियान कांग्रेस का यह लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा। डॉ रामेश्वर उरांव ने अपने लगभग छह महीने के कार्यकाल में यह साबित कर दिया है कि उनमें नेतृत्व क्षमता निर्विवाद है।
फिर उसकी परख चाहे विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार की कसौटी पर की जाये या फिर प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूत करने पर। उनके नेतृत्व में कांग्रेस झारखंड में नयी ऊंचाई छूने को बेताब है और डॉ रामेश्वर उरांव भी सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी यह रणनीति झारखंड कांग्रेस में क्या गुल खिलाती है।