रांची। पथ निर्माण विभाग में पिछले चार साल के अंदर टेंडर घोटाले की जांच शुरू कर दी है। विकास आयुक्त सह गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सोमवार को पहली बैठक की। इसमें विकास आयुक्त सुखदेव सचिव, पथ निर्माण सचिव केके सोन, जल संसाधन सचिव, आरइओ सचिव और तीन विशेषज्ञ अभियंता शामिल थे। तय हुआ कि कुछ पथों का फिजिकल वेरीफिकेशन किया जाये। साथ ही, जितने भी टेंडर हुए हैं, उनकी पूरी प्रक्रिया की जांच हो। यह भी पता लगाया जाये कि सड़क निर्माण मेंं प्राक्कलन की राशि कितनी बढ़ायी जाती रही है। सरकार ने विभाग के मुख्य अभियंता रास बिहारी सिंह और अरविंद कुमार सिंह को पहले ही निलंबित कर दिया है। साथ ही निर्माण कार्य में लगे अभियंताओं के भुगतान पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी गयी है। फिलहाल सभी टेंडर के दस्तावेज और ठेका कंपनियों के नाम भी मांगे गये हैं।
यह है मामला
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह को निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया गया है। साथ ही वर्ष 2016 से लेकर अब तक निष्पादित टेंडर की जांच करने का आदेश दिया है। पथ निर्माण विभाग में योजनाओं के शेड्यूल आॅफ रेट (एसओआर), टेंडर निष्पादन की प्रक्रिया, 10 फीसदी से भी कम दर पर टेंडर फाइनल करने आदि मामलों में अनियमितता पायी गयी है। प्रथम दृष्टि में यह पाया गया है कि एसओआर सहित अन्य दरों में भारी विषमताएं हुई हैं। एस्टिमेट में गड़बड़ी की संपुष्टि वित्त विभाग ने भी की है। मुख्यमंत्री के आदेश पर कई दिनों से पथ निर्माण विभाग के कार्यों की समीक्षा की जा रही थी। इस दौरान यह पाया गया कि शेड्यूल आॅफ रेट में काफी गड़बड़ी है।
ग्रामीण कार्य विभाग प्रति किमी ढुलाई पर 353 रुपये खर्च करता है, जबकि उसी काम के लिए पथ निर्माण विभाग करीब 1000 रुपये खर्च करता है। यह भी पाया गया कि ग्रामीण कार्य विभाग में जो काम 1200 रुपये में हो रहे हैं, वही काम पथ विभाग में 13 हजार रुपये में कराये जा रहे हैं। यहां तक कि 30 फीसदी कम रेट पर भी टेंडर फाइनल किया गया है। इस पर देखा जा रहा है कि टेंडर इतने कम रेट पर कैसे निष्पादित हुए हैं। प्रथम दृष्टया इसे गड़बड़ी माना गया है। रेट में काफी विभिन्नता पाने पर इस मुद्दे को लेकर वित्त विभाग से भी राय ली गयी। पथ विभाग एवं वित्त विभाग ने भी इस पर स्पष्ट किया है कि गड़बड़ियां हुई हैं। इसके बाद अभियंता प्रमुख से एसओआर की बाबत जवाब मांगा गया। उनके जवाब को सरकार ने संतोषजनक नहीं पाया। इसके बाद ही उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गयी है।