झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से सिल्ली की पूर्व विधायक सीमा महतो ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सीमा महतो सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो की पत्नी हैं। सीमा महतो ने पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन को रविवार को अपना इस्तीफा भेज दिया है।
शिबू सोरेन को भेजे गए इस्तीफा में सीमा महतो ने लिखा है सिल्ली-61 विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2018 के उपचुनाव में आपके आर्शीवाद एवं सिल्ली विधानसभा वासियों के अपार जनसमर्थन से विजयी होकर झारखण्डी हितों की आवाज को बुलंद करने विधानसभा सदन पहुंची। इस दौरान पूरी ईमानदारी के साथ दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया। मेरा झामुमो से जुड़ने का उद्देश्य झारखण्ड में सामाजिक रूप से बहिष्कृत और उपेक्षित झारखण्डी जनजातीय समुदाय एवं मूलवासी समाज को उनके समाजिक, शैक्षणिक, विकास को बढ़ावा देने और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के साथ ही उनकी समाजिक, संस्कृतिक तथाआर्थिक उन्नति के लिए संघर्ष करना था। अवगत कराना चाहती हूं कि आप सदैव शराब बंदी के पक्षधर रहे हैं और शराब बंदी को लेकर जनजागण करते रहे है। वर्त्तमान परिदृश्य में राज्य सरकार राजस्व के नाम पर शराब बेचने पर आमादा है, जो आपके आदर्शों के खिलाफ है। सबसे दुःखद पहलु है यह कि महाधिवक्ता सहित अन्य सवैधानिक पदों सहित विधिक सलाहकार के पद पर झारखण्ड विरोधियों को नियुक्त किया गया है। इस कारण झारखण्डी हित में सरकार फैसले नहीं ले पा रही है।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद ही आम झारखण्डी की तरह मुझे भी काफी उम्मीद थी कि वर्त्तमान सरकार के पहले कैबिनेट बैठक में ही झारखण्डी हित में खतियान आधारित स्थानीय नीतिएवं नियोजन नीति, पिछड़ा वर्ग आरक्षण 27 प्रतिशत महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे के निर्णय लिए जाऐंगे। लेकिन राज्य हित में उपरोक्त मुद्दे जस के तस है और झारखण्डी जनमानस के साथ माताएं-बहनें अपने नौनिहालों के साथ अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आज भी संर्घषरत्त हैं जो बेहद पीड़ादायक है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की नेतृत्व वाली सरकार के अब तक दो वर्ष बीत जाने के बाद भी झारखण्ड सरकार ने झारखण्डी हित में संवेदनशील मुद्दों पर गंभीरता नहीं दिखायी है। इससे मैं काफी आहत हूं और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रही हूं।