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    Home»देश»चुनावी बॉन्ड स्कीम पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया
    देश

    चुनावी बॉन्ड स्कीम पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया

    adminBy adminFebruary 15, 2024Updated:February 15, 2024No Comments4 Mins Read
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    चुनावी बॉन्ड के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि यह स्कीम RTI का उल्लंघन है। इतना ही नहीं उच्चतम अदालत ने एसबीआई से 6 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने इस संबंध में गुरुवार को फैसला सुनाया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड की वैधता पर सवाल उठाते हुए कुल चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं। कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में इस पर सुनवाई की थी और नवंबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को चुनावी बॉन्ड स्कीम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, बेंच का फैसला एकमत है। हालांकि, इस मामले में दो फैसले हैं, लेकिन निष्कर्ष एक है।

    हम सरकार की दलीलों से सहमत नहीं- सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस योजना से काले धन पर रोक की दलील दी थी। लेकिन इस दलील से लोगों के जानने के अधिकार पर असर नहीं पड़ता. यह योजना RTI का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा, सरकार ने दानदाताओं की गोपनीयता रखना जरूरी बताया। लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं। कोर्ट ने कहा, चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 1(a) के तहत हासिल जानने के मौलिक अधिकार का हनन करती है। हालांकि, हर चंदा सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए नहीं होता। राजनीतिक लगाव के चलते भी लोग चंदा देते हैं. इसको सार्वजनिक करना सही नहीं होगा। इसलिए छोटे चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना गलत होगा। किसी व्यक्ति का राजनीतिक झुकाव निजता के अधिकार के तहत आता है।

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

    शीर्ष अदालत ने कहा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि चुनावी बांड योजना, आयकर अधिनियम की धारा 139 द्वारा संशोधित धारा 29(1)(सी) और वित्त अधिनियम 2017 द्वारा संशोधित धारा 13(बी) का प्रावधान अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि चुनावी बांड जारी करने वाला बैंक, यानी भारतीय स्टेट बैंक, चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण और प्राप्त सभी जानकारी जारी करेगा। उन्हें 6 मार्च तक भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को सौंप देगा। ईसीआई इसे 13 मार्च तक आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा। साथ ही राजनीतिक दल इसके बाद खरीददारों के खाते में चुनावी बांड की राशि वापस कर देंगे। जानते हैं आखिर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मायने क्या हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार पर क्या असर पड़ेगा।

    क्या थी चुनावी बॉन्ड स्कीम?

    केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत की थी। इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था। इसे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था। चुनावी बॉन्ड स्टेट बैंक की 29 शाखाओं में मिलता था। इसके जरिए कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था किसी पार्टी को चंदा दे सकती थी। ये बॉन्ड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ रुपये तक के हो सकते थे। खास बात ये है कि बॉन्ड में चंदा देने वाले को अपना नाम नहीं लिखना पड़ता। हालांकि, इन बॉन्ड को सिर्फ वे ही राजनीतिक दल प्राप्त कर सकते थे, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड हैं और जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट मिले हों।

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