रांची: हत्या और आत्महत्या को लेकर सवाल खड़ा कर बचने का प्रयास करनेवालों की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही हैं। हालांकि अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को नहीं मिली है, लेकिन पोस्टमार्टम करनेवाले रिम्स के पांच बड़े डॉक्टरों ने ऐसी कई जानकारियां पुलिस को दी हैं, जिसके बाद पुलिस नामजद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विवश हो गयी है। डॉक्टरों का कहना है कि इच्छिता के कान से न ही खून गिरा, ना ही लार टपका और ना ही यूरिन निकला, तो यह आत्महत्या कैसे हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि आत्महत्या के बाद मृतक की नाक, कान या मुंह से खून या यूरिन और नहीं, तो मुंह से लार अवश्य ही निकलता है, लेकिन इच्छिता के शरीर से कुछ भी नहीं निकला है। इस कारण इच्छिता की मौत को आत्महत्या करार देना सही नहीं होगा।
गले पर दबाव के गोल निशान : इच्छिता के गले पर गोल शेप में बना दबाव का निशान भी हत्या की ही पुष्टि करता है। यदि आत्महत्या होती तो गले पर वी शेप में दबाव का निशान बनता। यह विशेषज्ञों का मानना है। चिकित्सकों की टीम का भी कहना है कि आत्महत्या करनेवालों की गर्दन पर किसी भी एक साइड से वी शेप में दबाव का निशान बनता है, लेकिन इच्छिता की गर्दन पर चारों ओर से गोल घेरे में ओ शेप का निशान बना है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उसके गले को दबाया गया है।
इच्छिता के साथ गलत हुआ है, होगी डीएनए जांच : चिकित्सकों का कहना है कि इच्छिता के साथ गलत हुआ है। जांच उस तरफ इशारा कर रही है, जिस तरफ इच्छिता की मां ने आरोप लगाया है। मेडिकल जांच में ऐसी कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी हैं। इस कारण डॉक्टरों ने डीएनए जांच के लिए कुछ नमूने रखे हैं। पुलिस मामले में आरोपियों का डीएनए मैच करवा सकती है।
शनिवार सुबह घटनास्थल पर पहुंचे सिटी डीएसपी शंभू सिंह और थानेदार ने नामजद आरोपियों से पूछताछ की। साथ ही एक आरोपी मनीष अग्रवाल उर्फ राज को फरार पाया है। कोचिंग के संचालकों ने पुलिस को बताया कि मनीष के साथ इच्छिता की दोस्ती थी, लेकिन पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिला है। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के साथ ही हॉस्टल की कई छात्राओं का भी बयान लिया है। किसी भी छात्रा ने इच्छिता के शव को फंदे से लटकते नहीं देखा था। सबका यही कहना है कि प्रिंस सिंह और उसके साथी ने शव को उतारने के बाद लोगों को घटना की जानकारी दी।
पुलिस से छुपा रहे थे पूरे मामले को : गोल इंस्टीट्यूट के संचालकों ने पूरे मामले को पुलिस से छुपाने का प्रयास किया है। हत्या या आत्महत्या के बाद किसी ने भी पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी। इतना ही नहीं, उन्होंने मृतक के परिजनों को भी सीधे रिम्स बुलाया और उनसे बिना कुछ कहे और मिले वहां से फरार हो गये। मीडिया और परिवार के लोग जैसे ही घटना की रात रिम्स पहुंचें, तो शव के पास कोई नहीं था। संस्थान का कोई भी व्यक्ति रिम्स में नहीं मिला। गोल इंस्टीट्यूट कं संचालकों और उनके दलालों की ओर से पूरी घटना पर पर्दा डालने का पूरा प्रयास किया गया।