वाघेला मानते हैं कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी को बिहार और पंजाब को बड़ा लाभ पहुंचाया है। अब गुजरात, हिमाचल प्रदेश में भी उनकी रणनीति का फायदा कांग्रेस पार्टी को हो सकता है। हालांकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में भी चुनाव रणनीति प्रशांत किशोर ने ही बनाई थी, लेकिन यहां उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है। उधर पंजाब में मिली जीत का पूरा श्रेय कैप्टन अमरिंदर सिंह के खाते में चला गया है। ऐसे में यह कह पाना बड़ा मुश्किल है कि कांग्रेस पार्टी फिर प्रशांत किशोर की सेवाएं लेने का फैसला करती है या नहीं।
बता दें कि प्रशांत किशोर के लिए गुजरात की राजनीति नई नहीं है, साल 2012 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपने चुनावी अभियान की रणनीति बनाने का जिम्मा दिया था। इस चुनाव में मिली कामयाबी के बाद मोदी ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। इस कसौटी पर भी प्रशांत खरे उतरे थे।
लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के लिए चुनावी अभियान का जिम्मा उठाया था। यहां भी प्रशांत किशोर की रणनीति काम आई और नीतीश कुमार को चुनाव में जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में हार का सामना करना पड़ा था, इसलिए पार्टी पहले से ही तैयारियों में जुट गई है। फिर इस बार मोदी जैसा ताकतवर नेता भी गुजरात में नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी पूरी ताकत लगा देना चाहती है।