अम्मान: जॉर्डन में आज सुबह 15 कैदियों को फांसी दे दी गई। इस देश में 2006 से 2014 के बीच मौत की सजा पर रोक थी। जॉर्डन के सूचना मंत्री महमूद अल मोमानी ने सरकारी पेट्रा समाचार एजेंसी को बताया कि फांसी पर लटकाए जाने वालों में से 10 लोग आतंकवाद के मामलों में दोषी पाए गए थे और 5 कैदी बलात्कार समेत जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए थे।
उन्होंने बताया कि ये सभी जॉर्डन के निवासी थे और इन्हें राजधानी अम्मान के दक्षिण में स्थित सुआगा जेल में फांसी दी गई। आतंकवादी अपराधों में अम्मान के रोमन एम्पीथिएटर में 2006 में पर्यटकों पर किया गया हमला शामिल है। इस हमले में ब्रिटेन के एक नागरिक की मौत हो गई थी।
इसके साथ ही जून 2016 में राजधानी के उत्तरी इलाके में खुफिया सेवा के अड्डे पर किया गया हमला भी शामिल हैं जिसमें 5 एजेंटों की मौत हो गई थी। इन अपराधों में 2016 में एक ईसाई लेखक नाहेद हत्तार की हत्या भी शामिल है।
शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने 2005 में कहा था कि कई यूरोपीय देशों की तर्ज पर जॉर्डन का लक्ष्य फांसी पर रोक लगाने वाला पश्चिम एशिया का पहला देश बनना है। बहरहाल, अदालतें मौत की सजा सुनाती रहीं लेकिन किसी को भी मौत की सजा नहीं दी गई। न्यायिक सूत्रों के अनुसार जॉर्डन में 94 लोगों को मौत की सजा दी जानी है जिनमें से ज्यादातर हत्या या बलात्कार के दोषी हैं।