16 दिसंबर गैंगरेप मामले में चार आरोपियों की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया हैं। हाईकोर्ट से मिली फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले आरोपी मुकेश और पवन की ओर से उनके वकील एमएल शर्मा ने 15 मार्च, 2014 को अपील दाखिल की थी। इसके बाद दूसरे दोषियों की ओर से उनके वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकारी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए इनकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी।
हाई कोर्ट ने चारों की फांसी कन्फर्म की
हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2014 को इस मामले में चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की अपील भी खारिज कर दी थी।
हाईकोर्ट की जस्टिस रेवा खेत्रपाल और जस्टिस प्रतिभा रानी की बेंच ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुआ था फैसला
निचली अदालत ने 13 सितंबर, 2013 को चारों को फांसी की सजा सुनाई थी और चारों की सजा कन्फर्म करने के लिए मामले को हाई कोर्ट को रेफर किया था। साकेत स्थित फार्स्ट ट्रैक कोर्ट ने इन चारों को गैंग रेप और हत्या के लिए दोषी करार दिया था। चारों को हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी और कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था। निचली अदालत ने सजा कन्फर्म करने के लिए मामले को हाई कोर्ट भेजा था। साथ ही चारों दोषियों ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
आपको बता दें की 16 दिसंबर 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली में एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ हैवानियत का खेल खेला था। पीडिता पैरामेडिकल की छात्रा थी। हादसे के वक्त उस बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे।