नैनीताल |नैनीताल की बैल पड़ाव फॉरेस्ट रेंज से एक बाघ की मौत सवालों के घेरे में आ गई है। फॉरेस्ट अधिकारियों का कहना है कि इस बाघ ने बीते कुछ दिनों में रामनगर के इस जंगल एरिया में दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद इसे ऐनिस्थीसिया देना पड़ा। उधर ऐक्टिविस्ट्स बाघ की मौत कारण ऐनिस्थीसिया की ओवर डोज दिया जाना बता रहे हैं। दूसरी तरफ, तराई वेस्ट सर्कल फॉरेस्ट कंजर्वेटर पराग मधुकर ने बाघ की मौत के बारे में चल रही सभी अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा कि ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बाघ को जीबीसी मशीन से किसी तरह की अंदरूनी चोट लगना नहीं आया है। रिपोर्ट के मुताबिक बाघ को कोई पुराना घाब सड़ने से बीमारी हुई थी। यह घाव उसे क्षेत्रीय अधिकार के लिए जंगल में बाघों के बीच होने वाली लड़ाई के दौरान आया होगा। इस बीमारी के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हुई होगी। हमने बाघ की मौत कारणों का पता लगाने के लिए एक टीम का पहले ही गठन कर दिया है।’
वहीं बाघ के पकड़े जाने के मौके पर मौजूद कुछ ऐक्टिविस्ट्स ने आरोप लगाया है कि बाघ को जिस वक्त पकड़ा गया उस वक्त खुद को बचाने के प्रयास में उसे कोई गहरी चोट आई होगी। उस पर कई राउंड ट्रैंक्यूलाइजर डार्ट के फायर किए गए थे, जिससे उसे घातक चोट लगने की पूरी संभावना है।वहीं, नाम न छापने की शर्त पर एक वाइल्ड लाइफ ऐक्टिविस्ट ने बताया कि ‘बाघ को पकड़ते वक्त हैवी ड्यूटी जेसीबी मशीन का प्रयोग किया गया। इस कारण बाघ को गहरी चोट आने की पूरी संभावना है। साथ ही उसे अचेतावस्था में लाने के लिए कई डार्ट्स का प्रयोग किया गया। बाघ जैसा जानवर कई घावों और चोटों के साथ 15 साल तक की उम्र जी सकता है। कुछ तो गलत हुआ है, तभी तो पकड़े जाते ही बाघ की मौत हो गई। वर्ना बाघ अचानक नहीं मर जाता।’
सूत्रों के मुताबिक, पहाड़ी राज्य में एक साल के भीतर यह पांचवें बाघ की मौत है। इससे पहले हुई बाघों की मौतों की वजह भी क्षेत्रीय लड़ाई और बॉडी में जहर फैल जाना बताए गए हैं।