मेदिनीनगर: जिले के पूर्व नाजिर शैलेश कुमार के कारनामों का जैसे-जैसे उद्भेदन हो रहा है, उसके द्वारा की गयी मनमर्जी की परतें खुलती जा रही हैं। जांच के क्रम में अभी तक जो बातें सामने आयी हंै, उसके मुताबिक नाजिर रहते हुए शैलेश कुमार ने तीन से चार करोड़ रुपये की हेराफेरी की है। उसके कारनामों से यह पता चलता है कि एक नाजिर ने उपायुक्त की नाक के नीचे पलामू का नटवरलाल बनकर खेल खेलता रहा। इनके द्वारा की गयी वित्तीय अनियमितता और चेक में हेराफेरी कर राशि का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार 29 मार्च 2014 से अभी तक 2 करोड़ 45 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है, जबकि इसमें में आंसू प्रेस 64 लाख और पूर्व नाजिर ने स्वयं 46 लाख रुपये की निकासी की। इस संबंध में बताया जा रहा है कि शैलेश कुमार के जिला नजारत के कारनामे सीसीटीवी में कैद हैं और उसकी मदद ली गयी है और आगे भी गोपनीय शाखा में उपस्थित होकर जिला नजारत की रोकड़ पंजी की जांच की जायेगी। शुरुआती जांच में 98 लाख, फिर 28 लाख और 1 करोड़ 19 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया है।
डीसी ने आपूर्तिकर्ता को राशि वापस करने का दिया निर्देश
उपायुक्त ने छह आपूर्तिकर्ताओं को निर्देश दिया है कि स्वीकृति राशि के विरुद्ध जितना भी राशि की निकासी की गयी है, उसे अविलंब नजारत को लौटा दिया जाये। इसके अलावे शैलेश कुमार को भी नोटिस दिया गया है कि वह अपने नाम से स्वीकृति राशि के अलावे जितनी भी अधिक राशि अवैध तरीके से निकाली है उसे नजारत के एकाउंट में जमा करे।
जिले के कई प्रखंड ऐसे हैं जो वित्तीय अनियमितता के मामले में कहीं न कहीं दोषी हैं। अगर एक टीम बना कर जांच की जाये तो निश्चित कई अहम खुलासे सामने आ सकते हैं। हालांकि प्रखंड के नजारत में अनियमितताओं से संबंधित कई जगहों पर जांच भी हुई है, लेकिन मामले को दबा दिया गया। जिला नजारत की जांच को देखते हुए प्रखंड मुख्यालय और अनुमंडल मुख्यालय में गड़बड़ी करनेवाले लोग भी संशय की स्थिति में हंै कि अगर जांच हुई, तो हमारी भी गर्दन फंसनी तय है। बहरहाल जो भी हो, पलामू उपायुक्त की इस कार्रवाई से जितने भी नटवरलाल हैं, उनकी हालत अंदर ही अंदर बहुत खराब है।