मेरठ
योगी आदित्यनाथ के यूपी के सीएम का पद संभालने के दो दिन बाद ही ‘ऐंटी रोमियो स्क्वॉड’ का गठन हो गया है। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में दर्ज इस वादे का जोरशोर से प्रचार किया था। पार्टी का दावा है कि महिलाओं, खास तौर पर स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों से छेड़खानी रोकने की दिशा में यह स्क्वॉड प्रभावशाली ढंग से काम करेगा। राज्य का पहला ऐंटी रोमियो स्क्वॉड मंगलवार को मेरठ की सड़कों पर नजर आया। ऐसे कई स्क्वॉड पूरी ताकत के साथ सड़कों पर ऐक्शन में दिखे। मेरठ उन जिलों में से एक है, जहां शैक्षिक संस्थाओं और सार्वजनिक स्थलों पर ऐसी टीमों की शुरुआती तैनाती की गई है। मकसद छेड़खानी रोकना और लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हालांकि, कुछ मामलों में लड़के और अभिभावक, दोनों ही पुलिस की इस पहल से प्रताड़ित होने का आरोप लगाते नजर आए। उनका आरोप था कि जिस तरीके से पुलिस की ये टीमें काम कर रही हैं, उससे क्राइम कंट्रोल और मोरल पुलिसिंग के बीच की लकीर खत्म हो चुकी है।
ऐक्शन में ऐंटी स्क्वॉड टीम
मेरठ जिले में हर पुलिस स्टेशन में एक एंटी रोमियो स्क्वॉड बना है, जिसमें तीन से चार सदस्य हैं। जिन इलाकों की आबादी ज्यादा है, वहां टीम या टीम सदस्यों की संख्या ज्यादा भी मुमकिन है। वहीं, लखनऊ में आईजी के ऑफिस से आदेश आया कि जोन के 11 जिलों में एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया जाए। मेरठ में ऐंटी रोमियो स्क्वॉड के गठन के पहले ही दिन स्कूल, कॉलेजों, सिगरेट और पान की दुकानों और यहां तक कि पेस्ट्री के दुकानों पर मंडरा रहे लड़कों से ‘पूछताछ’ की गई। बाद में उनके घरवालों को बुलाकर उनकी ‘गतिविधियों’ की जानकारी देने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
लड़कों और पैरंट्स की राय
पुलिस की पूछताछ के बाद एक लड़के ने इसे ज्यादती करार दिया। उसने बताया, ‘मैं डीएन कॉलेज के बाहर अपने दोस्त से मिलने के लिए खड़ा था और पुलिस ने मुझे वॉर्निंग दी। वे लोग मेरे घरवालों को बुलाना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्हें सही नंबर नहीं दिया। वे तो यह भी नहीं जानते थे कि मैं लड़का या लड़की, किससे मिलने आया हूं। उनके लिए तो बाइक पर सवार एक युवक ‘मजनू’ है। ‘
वहीं, बेटे की शिकायत को लेकर पुलिस द्वारा बुलाए गए एक पिता भी इन तरीकों से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा, ‘यह पुलिस का काम नहीं है कि वह तय करे कि लड़के कहां खड़े हों और कहां नहीं। मेरा बेटा 19 साल का है और वह वयस्क है। मुझे इस बात में कोई दम नहीं नजर आता कि पिता को बुलाकर कहा जाए कि उसका बेटा मटरगश्ती कर रहा है।’
क्या कहना है पुलिस का
वहीं, दिल्ली गेट पुलिस स्टेशन के एसएचओ एमके उपाध्याय ने कहा, ‘ऐसा अक्सर होता है कि जिन लड़कों का स्कूल या कॉलेज से कोई लेनादेना नहीं, वे भी क्लासेज खत्म होने के वक्त पर बाहर खड़े रहते हैं। हमें ऐसे कई लड़के मिले। हमने उनसे कहा कि आगे से हम उन्हें छोड़ने वाले नहीं हैं।’ वहीं, एसपी सिटी आलोक प्रियदर्शी ने उत्पीड़न के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘इन स्कवॉड्स का एकमात्र मकसद महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कराना और छेड़खानी रोकना है। ऐसा करने के लिए हम ऐसे कदम उठा रहे हैं ताकि शरारती तत्व उन इलाकों में न मंडराएं जहां अमूमन ज्यादा महिलाएं होती हैं। मैं बिलकुल नहीं कहूंगा कि यह एक मोरल पुलिसिंग है।’