रांची। गिरिडीह सांसद रवींद्र पांडेय के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है। जबसे एनडीए में भाजपा और आजसू का समझौता हुआ और गिरिडीह सीट आजसू के खाते में चली गयी है, तबसे ही उनकी बेचैनी बढ़ गयी है। अब जब उनके सामने गिरिडीह से भाजपा के सभी रास्ते बंद हो गये हैं, तो उन्होंने दूसरे दलों के दरवाजे पर भी दस्तक देनी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि वह इन दिनों दो राजनीतिक दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। एक तो राष्टय दल है और दूसरा विपक्ष की सबसे मजबूत पार्टी मानी जाती है। इन दोनों दलों के लिए भी गिरिडीह सीट काफी महत्व रखती है।

हालांकि रवींद्र पांडेय काफी सधे खिलाड़ी हैं। इस तरह की बातों की उन्होंने किसी को हवा तक नहीं लगने दी है। उनकी शतरंजी चाल यहीं खत्म नहीं होती है, बल्कि उन्होंने तीसरा विकल्प भी खुला रखा है। भाजपा आलाकमान के सामने उन्होंने धनबाद सीट से लड़ने का दावा पेश किया है। आजसू-भाजपा गठबंधन के तुरंत बाद उन्होंने दिल्ली दौड़ लगायी थी। पर जब गिरिडीह को लेकर उनकी दाल नहीं गली, तब उन्होंने धनबाद से दावा पेश कर दिया। कहा जा रहा है कि इन दिनों धनबाद सीट से उम्रदराज प्रत्याशी को लेकर उनके चुनिंदा समर्थकों द्वारा हवा उड़ायी जा रही है।

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