Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, May 15
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»स्वदेशी तकनीक की अनोखी मिसाल है ‘मिशन शक्ति’
    Top Story

    स्वदेशी तकनीक की अनोखी मिसाल है ‘मिशन शक्ति’

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMarch 27, 2019No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    आजाद सिपाही ब्यूरो
    नयी दिल्ली। भारत ने बुधवार को अंतरिक्ष में महाशक्ति का दर्जा हासिल करते हुए पृथ्वी की निचली कक्षा में तीन सौ किलोमीटर दूर एक सैटेलाइट को मार गिराया। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस अभियान को ‘मिशन शक्ति’ नाम दिया था।
    यह मिशन ओड़िशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप लांच कांप्लेक्स से ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल के परीक्षण से हुअ। यह डीआरडीओ की ओर से एक तरह का तकनीकी मिशन था। मिसाइल के परीक्षण के लिए जिस सैटेलाइट को निशाना बनाया गया, वह भारत के उन उपग्रहों में से है, जो पहले ही पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद हैं। इस परीक्षण के तहत डीआरडीओ ने अपने सभी तय लक्ष्यों को हासिल किया।
    अंतरिक्ष में ऐसे भेदा सैटेलाइट
    भारत ने इस मिशन को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक के जरिये अंजाम दिया। ऐंटी सैटेलाइट मिसाइल भी स्वदेश निर्मित ही था। इस परीक्षण के साथ ही भारत अंतरिक्ष में ताकत के मामले में अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल हो गया है।
    कौन सा सैटेलाइट किया गया इस्तेमाल?
    इस मिशन में पूरी तरह से भारत में तैयार ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। इसमें डीआरडीओ के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर का इस्तेमाल किया गया था।
    क्या इस परीक्षण से स्पेस से कोई मलबा गिरेगा?
    इस परीक्षण से पैदा हुआ मलबा आने वाले कुछ सप्ताह में धरती पर गिरेगा, यह आसमान में नहीं फैलेगा। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस में साफ किया किया तीन हफ्ते में यह मलबा स्वत: साफ हो जायेगा।
    भारत ने यह परीक्षण क्यों किया?
    भारत लंबे समय से अंतरिक्ष में सफलताएं हासिल कर रहा है। बीते पांच सालों में यह रफ्तार और तेज हुई है। मंगलयान मिशन की सफल लांचिंग हुई है। इसके बाद सरकार ने गगनयान मिशन को भी मंजूरी दी है। भारत ने इस परीक्षण की सफलता को लेकर पूरी तरह विश्वस्त होने के बाद ही इसे अंजाम दिया।
    क्या भारत अंतरिक्ष में हथियारों की रेस में शामिल हो गया?
    भारत का बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की रेस में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। यह सिर्फ इसलिए किया गया, ताकि कोई संदिग्ध सैटेलाइट भारतीय अंतरिक्ष सीमा में प्रवेश न कर सके। इससे दुश्मन देशों के लिए भारत की जासूसी करना मुश्किल होगा। इसके अलावा अंतरिक्ष में भारत के संसाधनों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
    क्या यह परीक्षण किसी देश के खिलाफ है?
    भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों का यह परीक्षण किसी देश के खिलाफ नहीं है। भारत की अंतरिक्ष क्षमताएं किसी देश के खिलाफ नहीं हैं और न ही इनका कोई सामरिक उद्देश्य है।
    चीन पर नजर, भारत ने ‘मिशन शक्ति’ से दिखायी ताकत
    भारत ने यह क्षमता वर्ष 2012 में ही हासिल कर ली थी, जब अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण किया गया था लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की वजह से इसके परीक्षण की अनुमति नहीं दी गयी थी। वर्ष 2007 में चीन के एक सैटेलाइट के मार गिराने के बाद भारत पर इस तरह के परीक्षण का दबाव बढ़ गया था।
    कैसे पूरा हुआ मिशन शक्ति
    सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत ने सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर ए-सैट का परीक्षण किया। ए-सैट ने तीन सौ किमी की ऊंचाई पर एक पुराने सैटेलाइट को निशाना बनाया, जो अब सेवा से हटा दिया गया है। यह पूरा अभियान मात्र तीन मिनट में पूरा हो गया। इस सैटेलाइट किलर मिसाइल के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी घोषणा खुद पीएम मोदी ने की।
    चीन को टक्कर देगा यह मिसाइल
    वर्ष 2007 में अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराने के बाद चीन ने अब इतनी क्षमता हासिल कर ली है कि वह अंतरिक्ष में किसी भी मिसाइल को मार गिरा सकता है। यही नहीं चीन ने अब सैटेलाइट को अंधा करने की भी क्षमता हासिल कर ली है। इससे चीन के क्षेत्रों में अब विदेशी सैटेलाइट निगरानी नहीं कर पायेंगे। युद्ध के समय चीन को इससे बढ़त मिल जायेगी। इसी खतरे को देखते हुए भारत ने इस मिसाइल सिस्टम का परीक्षण किया है।
    अग्नि मिसाइल और एएडी का मिश्रण है एसैट
    रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक ऐंटि सैटेलाइट ए-सैट मिसाइल सिस्टम अग्नि मिसाइल और एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) सिस्टम का मिश्रण है। भारत ने वर्ष 2012 के आसपास ही इन दोनों को मिलाकर अपना ऐंटी सैटेलाइट ए-सैट मिसाइल सिस्टम बना लिया था, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से इसका परीक्षण नहीं कर रहा था। हालांकि मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखायी और परीक्षण को अपनी अनुमति दी।
    वर्ष 2012 में डीआरडीओ के तत्कालीन चीफ वीके सारस्वत ने स्वीकार किया था कि अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत के पास सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता है। उन्होंने कहा था, ‘ऐंटी सैटेलाइट सिस्टम को अच्छे बूस्ट की जरूरत होती है। यह करीब 800 किमी है। अगर आप 800 किमी तक पहुंच सकते हैं और आपके पास निर्देशन प्रणाली है, तो अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराया जा सकता है। अग्नि-5 में यह क्षमता मौजूद है।’ उन्होंने कहा था कि भारत ने ऐंटी मिसाइल टेस्ट करके अपनी निर्देशन प्रणाली का टेस्ट पहले ही कर लिया है। सारस्वत ने माना था कि भारत सरकार ने ऐंटी सैटेलाइट सिस्टम बनाने को अपनी अनुमति नहीं दी।
    भारत ने किसी संधि का उल्लंघन नहीं किया
    अंतरिक्ष विज्ञानी अजय लेले के मुताबिक यह सैटेलाइट संभवत: भारत का ही रहा होगा। बेकार हो गया होगा, उसे पहचाना गया और फिर सफलता से गिराया गया। अंतरिक्ष के लिए आउटर स्पेस ट्रीटी है। इसके तहत आप अंतरिक्ष में हथियारों का परीक्षण नहीं कर सकते हैं। भारत ने किसी संधि का उल्लंघन नहीं किया। 2007 में चीन ने भी ऐसा किया था। स्पेस में इससे काफी कचरा फैला था। भारत का परीक्षण कम ऊंचाई पर हुआ है, इसलिए अनुमान है कि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह नीचे गिरकर नष्ट हो जायेगा।

    मिशन शक्ति के लिए यूपीए ने नहीं दी मंजूरी : अरुण जेटली
    एजेंसी
    नयी दिल्ली। भारत ने स्पेस में अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए ‘मिशन शक्ति’ के जरिये बुधवार को अंतरिक्ष में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया। वित्त मंत्री अरुण जेटली इस उपलब्धि पर कांग्रेस की तरफ से किये जा रहे तंज पर पलटवार किया है। जेटली ने कहा कि कांग्रेस आज इस उपलब्धि के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन उन्हें शायद 21 अप्रैल 2012 को एक अखबार में प्रकाशित हेडलाइन याद नहीं है। जेटली ने कहा, वैज्ञानिक एक दशक से इसके लिए तैयार थे, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी।
    कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस मिशन की उपलब्धि का श्रेय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों को दिया गया। इस पर जेटली ने तंज कसते हुए कहा, ‘यह बहुत समय पहले से हमारे वैज्ञानिकों की इच्छा रही थी और उनका कहना था कि उनके पास यह क्षमता है, लेकिन भारत सरकार अनुमति नहीं देती। इसलिए हम इस ताकत को बनाने और डेवलप करने में सक्षम नहीं हैं। मेरे कुछ कांग्रेस के मित्र आज अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।’
    पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा, ‘जब अग्नि 5 लांच हुआ था, तो 21 अप्रैल 2012 में आप मनु पब्बी की स्टोरी पढ़ लें। स्टोरी में स्पष्ट था कि वैज्ञानिक वीके सारस्वत ने कहा कि हमारे पास ऐसी इच्छा और क्षमता है, लेकिन सरकार अनुमति नहीं दे रही। इसकी पूरी प्रक्रिया 2014 के बाद शुरू हुई जब प्रधानमंत्रीजी ने अनुमति दी।’ भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत के लिए यह उपलब्धि बेहद खास है क्योंकि यह मिशन पूरी तरह से भारतीय है। उन्होंने कहा, ‘हम स्पेस पावर बन गये हैं, इस लिहाज से यह उपलब्धि बड़ी नहीं है। हमें याद रहे कि पुराने युद्ध जैसे होते थे और जो अगले युद्ध होंगे वो अलग होंगे। कन्वेंशनल आर्मी, एयरफोर्स के युद्ध, फिर साइबर और अब स्पेस। अब हमारी तैयारी ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है। आज जो यह उपलब्धि हासिल हुई है यह 100 फीसदी भारतीय है। इसकी हर चीज का भारत में निर्माण हुआ है और भारत में शोध हुआ है। भारत के पास स्पेस पावर बनकर यह शक्ति आयी है।’
    पीएम मोदी की ही तरह जेटली ने भी दोहराया कि भारत के शांतिप्रिय प्रवृति को जारी रखना ही इस मिशन का उद्देश्य है। उन्होंने कहा, ‘हमने किसी आक्रमण के लिए इसका डेवलपमेंट नहीं किया है। इसके माध्यम से हमारी क्षमता बढ़ी है। इस जियो पॉलिटिकल सिचुएशन में अपनी रक्षा करने की पूरी ताकत हमारे पास है। वैज्ञानिक पिछली दशक से तैयार थे, लेकिन सरकार में ये क्षमता नहीं थी, स्पष्टता नहीं थी कि उनको अनुमति दे। प्रधानमंत्री जी देश की सिक्युरिटी को ताकत दे रहे हैं। उसमें यह एक नया माइलस्टोन है। इस प्रकार की ताकत के साथ हमारी शक्ति ही नहीं बढ़ेगी, हमारी शांति को कायम रखें इसकी क्षमता भी बढ़ेगी।’

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleरांची, कोडरमा और चतरा को लेकर भाजपा में माथापच्ची
    Next Article जेल से सेट हो रहा है सियासत का गेम!
    azad sipahi desk

      Related Posts

      पाकिस्तान के एटम बमों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी अपनी निगरानी में ले : राजनाथ

      May 15, 2025

      पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ने यूपीएससी के अध्यक्ष का पदभार संभाला

      May 15, 2025

      नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों से मिलने एम्स पहुंचे अमित शाह, ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात कर जाना हालचाल

      May 15, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • पाकिस्तान के एटम बमों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी अपनी निगरानी में ले : राजनाथ
      • पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ने यूपीएससी के अध्यक्ष का पदभार संभाला
      • नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों से मिलने एम्स पहुंचे अमित शाह, ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात कर जाना हालचाल
      • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का ‘प्रेसिडेंशियल रेफरेंस’ पर कड़ा विरोध
      • निर्वाचन आयोग के ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होगा झारखंड का 402 सदस्यीय दल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version