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    Home»Top Story»कोरोना लॉकडाउन: घबराइए मत, सरकार है ना
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    कोरोना लॉकडाउन: घबराइए मत, सरकार है ना

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMarch 26, 2020No Comments6 Mins Read
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    देश-दुनिया जहां कोरोना की महामारी से जूझ रही है, वहीं झारखंड अब तक इससे अछूता है। इसे महज संयोग या चमत्कार कहा जाये या झारखंड की सवा तीन करोड़ की आबादी की जागरूकता, यहां अब तक कोरोना का प्रवेश नहीं हुआ है। सच चाहे जो भी हो, एक बात को माननी ही होगी कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए पहले दिन से ही प्रयास शुरू कर दिये थे। इटली से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में लॉकडाउन की घोषणा कर दी और 15 अप्रैल तक के लिए सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिये। यह सक्रियता और महामारी के प्रति संवेदनशीलता भी झारखंड को अब तक इस संकट से दूर रखने में बहुत सहायक साबित हो रही है। झारखंड देश का पहला ऐसा प्रदेश है, जिसने सबसे पहले खुद को क्वारेंटाइन कर लिया, हालांकि यहां अब तक कोई मरीज नहीं मिला है। अब जबकि पूरे देश में तीन सप्ताह का लॉकडाउन हो गया है, झारखंड की सरकार इस संकट से निबटने के लिए कुछ अनोखे कदम उठा रही है। इसकी बानगी मंगलवार को उस समय देखने को मिली, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिलासपुर में फंसे गढ़वा के मजदूरों के घर लौटने की मुकम्मल व्यवस्था की। इसके बाद हरिद्वार में फंसे झारखंड के लोगों को राहत पहुंचाने का प्रयास किया। उधर रांची जिला प्रशासन ने लोगों के घर तक राशन और जरूरी सामान पहुंचाने की व्यवस्था की है और स्थानीय स्तर पर सैनिटाइजर बना कर सस्ती दर पर बिक्री शुरू की है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए झारखंड सरकार की कोशिशों पर नजर डालती आजाद सिपाही टीम की खास रिपोर्ट।

    पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है और अब तक पांच सौ से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। देश के 95 फीसदी भाग में यह बीमारी फैल चुकी है, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि झारखंड अब तक इससे बचा हुआ है। यह केवल संयोग नहीं है कि झारखंड में अब तक कोरोना का प्रवेश नहीं हुआ है, बल्कि यह इस राज्य की आबोहवा, यहां के लोगों के संयम और यहां की सरकार के मिले-जुले प्रयासों का परिणाम है। झारखंड की यह खासियत है कि यहां के लोग बहुत जल्दी संकट की आहट को पहचान लेते हैं और उससे बचने के उपाय में जुट जाते हैं। इस बार हेमंत सोरेन सरकार ने इस संकट को भांप लिया और समय रहते तैयारी कर ली, जिसका परिणाम दुनिया के सामने है। ऐसा कदापि नहीं है कि झारखंड से कोरोना का खतरा टल गया है या कम हो गया है। खतरा बरकरार है, लेकिन झारखंड के लोगों ने जिस सजगता का परिचय दिया है और सरकार-प्रशासन ने जैसी तैयारी की है, उससे साफ लगता है कि यहां के लोगों के लिए तीन सप्ताह का लॉकडाउन बहुत तकलीफदेह नहीं होगा।
    बहुत पुरानी कहावत है कि धैर्यवान और काबिल लोगों की असली परीक्षा संकट के समय ही होती है। पूरे देश में तीन सप्ताह के लॉकडाउन और कोरोना से पैदा हुए संकट से झारखंड जिस तरह निबट रहा है, उसकी चौतरफा तारीफ हो रही है। राज्य का हर व्यक्ति सरकार और प्रशासन को सहयोग देने के लिए तैयार है। कोरोना के खिलाफ इस जंग का नेतृत्व खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े से वह लगातार स्थिति की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दुनिया भर में रह रहे झारखंड के लोग उनसे बेहिचक संपर्क कर रहे हैं और मदद मांग रहे हैं। गढ़वा के 50 मजदूर मंगलवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फंसे हुए थे। उन्होंने सीएम को ट्वीट कर मदद मांगी। हेमंत सोरेन ने तत्काल छत्तीसगढ़ के सीएम से संपर्क किया और फंसे लोगों की पीड़ा उन्हें बतायी। नतीजा यह हुआ कि ये सभी मजदूर सकुशल अपने गांव पहुंच गये। इतना ही नहीं, आज हरिद्वार में फंसे दुमका के लोगों ने सीएम से मदद की गुहार लगायी, तो हेमंत सोरेन ने तत्काल उत्तराखंड के सीएम से संपर्क कर मदद का आग्रह किया। कुछ ही घंटे में उन सभी के पास मदद पहुंच गयी। सीएम इस संकट को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि उन्होंने कहा है कि संदिग्ध लोग घर में नहीं, बल्कि सरकार के क्वारेंटाइन में रहेंगे।
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में तीन सप्ताह के लॉकडाउन की घोषणा के बाद हेमंत सोरेन ने जिस तरह जिला प्रशासनों को सक्रिय किया है, वह भी अनुकरणीय है। रांची जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान लोगों की सहूलियत के लिए जरूरी सामग्री की होम डिलेवरी करने की व्यवस्था की है। इसके लिए बिग बाजार जैसे बड़े प्रतिष्ठानों की मदद ली जा रही है। लोग अपनी जरूरत के सामान की सूची ह्वाट्सएप पर भेजते हैं और कुछ घंटे बाद सामान उनके दरवाजे पर पहुंच जाता है। यह प्रयोग देश में पहली बार हो रहा है।
    दूसरे जिलों में भी अब इस प्रयोग को दोहराने की तैयारी हो रही है। जमशेदपुर में तो प्रशासन ने विभिन्न इलाकों में जन सुविधा केंद्र स्थापित कर दिये हैं और वहां उपलब्ध सामग्री की कीमत भी सार्वजनिक कर दी है। इतना ही नहीं, उस केंद्र के लिए जिम्मेवार अधिकारी का फोन नंबर भी सार्वजनिक है, ताकि आम लोग बिना किसी दिक्कत के उन तक पहुंच सकें। इन छोटी-छोटी पहलों से ही झारखंड के लोगों को लगने लगा है कि लॉकडाउन से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार उनके साथ है।
    आम लोगों की सहूलियत के साथ-साथ सरकार की नजर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी है। मुख्यमंत्री ने सभी पंचायतों में आइसोलेशन बेड स्थापित करने को कहा है। ये आइसोलेशन बेड पंचायत भवन या वहां के सरकारी या निजी स्कूलों में बनाये जा रहे हैं। यानी झारखंड को कोरोना से बचाने की मुकम्मल तैयारी हो रही है। यहां कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि केवल आइसोलेशन बेड बना कर क्या होगा, जब जांच मशीन और दूसरे संसाधन ही नहीं हैं।
    हकीकत यह है कि झारखंड सरकार उतना ही पैर पसार रही है, जितनी लंबी उसकी चादर है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन किसी खुशफहमी में नहीं हैं कि उन्होंने बड़ा तीर मार लिया है, बल्कि वह पूरी संजीदगी से अपने काम में लगे हुए हैं। असली नेता का काम यही होता है कि वह लोगों को इस बात के लिए आश्वस्त कर दे कि घबराएं नहीं, सरकार है ना। अब झारखंड के लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे सरकार के साथ खड़े हों और कंधे से कंधा मिला कर इस संकट से लड़ने के लिए तैयार हो जायें। तब झारखंड का नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो जायेगा।

    Corona Lockdown: Do not panic the government is there
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