– रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ 3,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए
– राडार चेतावनी रिसीवर से लड़ाकू सुखोई-30 की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमता बढ़ेगी

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मध्यम शक्ति राडार ‘अरुधरा’ और राडार वार्निंग रिसीवर्स खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए गुरुवार को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ 3,700 करोड़ रुपये से अधिक लागत के दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह दोनों राडार वायु सेना की निगरानी, पहचान और ट्रैकिंग क्षमता को बढ़ाएंगे।

रक्षा मंत्रालय ने आज भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 3,700 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत पर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। 2,800 करोड़ रुपये से अधिक का पहला अनुबंध भारतीय वायु सेना के लिए मध्यम शक्ति राडार (एमपीआर) ‘अरुधरा’ की आपूर्ति से संबंधित है। दूसरा अनुबंध लगभग 950 करोड़ रुपये का है, जो 129 डीआर-118 राडार वार्निंग रिसीवर्स (आरडब्ल्यूआर) से संबंधित है। दोनों परियोजनाएं ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी रूप से डिजाइन विकसित और निर्मित श्रेणी के अंतर्गत हैं। यह दोनों राडार रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए देश की यात्रा को साकार करने में मदद करेंगे।

मध्यम शक्ति रडार अरुधरा
इस राडार को स्वदेशी रूप से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डिजाइन और विकसित किया है और इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) करेगा। इसका सफल परीक्षण भारतीय वायुसेना पहले ही कर चुकी है। यह एक 4डी मल्टी-फंक्शन फेज्ड ऐरे राडार है, जिसमें हवाई लक्ष्यों की निगरानी, पता लगाने और ट्रैकिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग लगाया गया है। इस प्रणाली के जरिये मित्र या शत्रु लक्ष्य की पहचान पूछताछ के आधार पर होगी। यह परियोजना औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में विनिर्माण क्षमता के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी।

राडार वार्निंग रिसीवर्स
डीआर-118 राडार चेतावनी रिसीवर वायु सेना के लड़ाकू विमानों सुखोई-30 एमकेआई के इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताओं को बढ़ाएगा। अधिकांश राडार चेतावनी रिसीवर सब-असेंबली और पुर्जे स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किए जाएंगे। यह परियोजना एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी और प्रोत्साहित करेगी। डीआर-118 राडार चेतावनी रिसीवर स्वदेशी ईडब्ल्यू क्षमताओं को विकसित करने और देश को रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है। इस परियोजना से साढ़े तीन साल की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिन के बराबर रोजगार पैदा होंगे।

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