विशेष
-बार-बार कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं ‘युवराज’
-ऐसी राजनीति और ऐसी बयानबाजी से तो डूब जायेगा पार्टी का सूर्य
क्या राहुल गांधी ने अपनी 150 दिनों और 3750 किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा पर खुद ही पानी फेरने का प्रण ले लिया है। आखिर राहुल गांधी अपने बयानों से कांग्रेस पार्टी के किये-कराये पर पानी क्यों फेर देते हैं। यूं ही भाजपा वाले चुनाव के समय उन्हें अपना स्टार कैंपेनर नहीं कहते। भाजपा को पता होता है कि कोई न कोई ऐसा बयान राहुल गांधी सही मौके पर दे देंगे, जो भाजपा के हित में काम करने लगेगा। फिर उन बयानों को कांग्रेस को न उगलते बनता है और न निगलते। कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की छवि को सुधारने और एक नया रूप देने के लिए भारत जोड़ो यात्रा का आयोजन किया था। राहुल की छवि इससे मजबूत भी हुई। खुद राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को मार दिया है। वह है ही नहीं। गया वो, गया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जिस व्यक्ति को आप देख रहे हो, वह राहुल गांधी है ही नहीं। न ही उनके दिमाग में है। राहुल गांधी आप पत्रकारों और भाजपा के दिमाग में है, उनके खुद के दिमाग में नहीं है। अब इस बयान को समझने के लिए राहुल ने हिंदू धर्म को पढ़ने के लिए कहा। शिवजी पर अध्ययन करने को कहा। यानी राहुल गांधी कहना चाहते थे कि उन्होंने एक नाम विशेष वाली छवि को तोड़ दिया है। राहुल गांधी तो यह भी कहते फिर रहे हैं कि वह पीएम नहीं बनना चाहते। लेकिन सच्चाई क्या है, यह सभी को पता है, ठीक उसी तरह जैसे राहुल ने खुद को मार लिया है। इस बयान के बाद राहुल ने अपनी तपस्वी दाढ़ी को कटवाया और सूट-बूट में हल्की ट्रिम्ड दाढ़ी के साथ लंदन में नजर आये। अब बारी थी राहुल को भाजपा को मुद्दा देने की। सो उन्होंने दे भी दिया। एक तरफ राहुल भारत जोड़ने की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ लंदन में जाकर भारत के लोकतंत्र पर प्रश्नचिह्न खड़ा करते हैं। अब इसे क्या कहा जाये। ये बातें किस राहुल ने कहीं। मरे हुए राहुल ने, जिसे खुद राहुल ने मार दिया या वह राहुल को खुद को मारने वाली बातें कह रहा था। राहुल तो अपनी यात्रा के दौरान खुद ही कहा करते थे कि यात्रा के दौरान भारत में मुझे सिर्फ प्रेम दिखा, भाईचारा दिखा, लेकिन अब कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, ऐसी बयानबाजी लंदन में जाकर देना भारत के खिलाफ बयानबाजी ही कही जा सकती है। आज की तारीख में भारत का लोकतंत्र उतना ही सुरक्षित है, जितना भारत आजाद है। आखिर राहुल गांधी ने कैसे खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली, या यूं कहें कि चुनावी मौसम में राहुल नाम का बादल कांग्रेस की सेहत खराब कर सकता है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
यह सब जानते हैं कि राहुल गांधी ने पांच महीने की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कड़ी मेहनत की। करीब 150 दिनों की इस यात्रा के जरिये राहुल ने पार्टी में नयी जान फूंकने की कोशिश की। विपक्ष भी उनके साथ खड़ा दिखायी दिया। देश-दुनिया की मीडिया ने इसे कवर किया। वैसे राहुल हमेशा इल्जाम लगाते रहे कि मीडिया उनकी यात्रा को कवर नहीं कर रही। अगर मीडिया इस यात्रा को कवर नहीं करती, तो यह यात्रा टीवी या समाचार पत्रों में कैसे सुर्खियां बटोर रही थी। हां, 24 घंटे उनकी यात्रा को न्यूज चैनलों में स्लॉट नहीं मिल पा रहा था, अखबारों में तीन-चार पन्नों का स्थान नहीं मिल पा रहा था। यह सही है। लेकिन डिजिटल मीडिया में उनकी यात्रा को खूब स्थान मिला। खासकर कांग्रेस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर। राहुल गांधी की यात्रा लगातार सुर्खियों में बनी रही। इस पूरी यात्रा में भीड़ भी खूब देखने को मिली। इसी भीड़ में राहुल ने कब खुद को मार लिया, पता नहीं चला। वह तो राहुल ने जब पत्रकारों को मंच से कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को मार दिया है, तब पूरी दुनिया को पता चला कि राहुल गांधी ने राहुल गांधी को मार दिया है। वैसे अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी में कांग्रेस को तपस्वी दिखता था। राहुल ने भी लोगों को निराश नहीं किया। उन्होंने कई बार अध्यात्म का ज्ञान भी बांटा। यह अलग बात है कि सिर्फ राहुल को छोड़ जनता को उनकी बातें समझ में नहीं आयीं। कांग्रेसियों को भी उनकी बातों को समझने की एक्टिंग करनी पड़ती थी। राहुल गांधी की भारत जोड़ने के लिए 3750 किलोमीटर की पैदल यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होकर श्रीनगर में खत्म हुई थी। कांग्रेस का दावा था कि उनकी यात्रा देश में बेरोजगारी, महंगाई, हिंसा और नफरत के खिलाफ थी। सड़क पर निकल कर राहुल ने सत्तारूढ़ भाजपा को सीधे ललकार दिया था। भाजपा का भी इस यात्रा से पसीना छूट रहा था। कह कोई नहीं रहा था, लेकिन भाजपा को भरोसा था कि राहुल गांधी उन्हें निराश नहीं करेंगे। प्लेट में सजा कर उसे मुद्दा जरूर दे देंगे। और ठीक वही हुआ।
राहुल गांधी लंदन पहुंच गये। वहां उन्होंने वही किया, जिससे भाजपा और देश की जनता भी भली-भांति परिचित थी। कांग्रेस पार्टी भी होगी। इसमें कोई संदेह नहीं। धुकधुकी तो बनी ही होगी। दरअसल, राहुल गांधी पिछले दिनों लंदन दौरे पर थे। उन्हें कैंब्रिज में लेक्चर का निमंत्रण मिला था। राहुल ने वहां कैंब्रिज लेक्चर से इतर एक मीडिया इंटर-एक्शन में कहा कि भारत में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है। वहां लोकतंत्र कब का मर चुका है। राहुल यहीं नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जो अमेरिका और यूरोप खुद को लोकतंत्र का कथित रक्षक बताते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि भारत का लोकतंत्र सिर्फ भारत के लिए ही मायने नहीं रखता है, उनके लिए भी महत्वपूर्ण है।
लंदन में भारतीय लोकतंत्र पर उनके बयान से हालात बदल गये। भाजपा ने इस मुद्दे को दोनों हाथों से लपक लिया। इसे लेकर वह राहुल पर हमलावर है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पूरे मामले में घिरते जा रहे हैं। उन पर माफी मांगने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर संसद नहीं चल पा रही है। राहुल ने पूरे मामले में सदन में बोलने के लिए कहा है। हालांकि अंदेशा भी जताया है कि भाजपा शायद उन्हें नहीं बोलने दे। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है। कहीं भाजपा ने चार दिनों में राहुल की 150 दिनों की भारत जोड़ो यात्रा की मेहनत पर पानी तो नहीं फेर दिया है? भाजपा ने मांग की है कि राहुल गांधी को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। राहुल ने खास तौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा था कि मोदी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को नष्ट कर रहे हैं। भाजपा ने इसे विदेश से भारत के लोकतंत्र पर हमले के तौर पर पेश किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू और स्मृति इरानी से लेकर रविशंकर प्रसाद तक पार्टी के तमाम दिग्गिज नेताओं ने राहुल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
भाजपा को थाली में मिल गया है मुद्दा
हालांकि, विदेश में जाकर प्रधानमंत्री पर हमला ज्यादातर लोगों को सहज नहीं लगा। भाजपा ने भी इसे कांग्रेस के खिलाफ मुद्दा बना लिया। पीएम मोदी को दो-दो बार जनता ने देश का नेतृत्व करने का मौका दिया है। भाजपा का कहना है कि ऐसा करके राहुल ने सिर्फ देश का ही नहीं, उसकी जनता का भी अपमान किया है। इस मसले को लेकर राहुल पर माफी मांगने का दबाव बढ़ता जा रहा है। संसद चल नहीं पा रही है। राहुल ने इसे अडाणी मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। दूसरी ओर भाजपा को यह मुद्दा बैठे-बिठाये मिल गया है। राहुल गांधी ने अपने लंदन दौरे में पेगासस का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पेगासस के जरिये विपक्षी नेताओं की जासूसी की गयी। ध्यान रहे कि पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है, जहां जांच के लिए 29 फोन जमा करवाये गये थे। इनमें पांच फोन में मैलवेयर मिला था, लेकिन यह पेगासस ही था, इसकी पुष्टि नहीं हो पायी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ये मैलवेयर नेताओं की जासूसी ही कर रहे थे, इसका भी कोई सबूत नहीं है। बावजूद इसके राहुल गांधी ने लंदन में इस मुद्दे को उछाला। बहरहाल, भाजपा राहुल गांधी के इस आरोप पर भी भड़की हुई है कि विपक्षी दलों को संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। राहुल बार-बार कहते हैं कि वह जब संसद में बोलते हैं, तो उनका माइक बंद कर दिया जाता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यही बात लंदन में दोहरायी। हालांकि, राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए राहुल गांधी से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा भी था कि आपको (राहुल को) बोलने का हमेशा पूरा मौका मिलता है। बिरला ने राहुल से कहा कि वह ऐसा नहीं बोला करें कि उनकी माइक बंद कर दी जाती है, क्योंकि यह सही नहीं है।
राहुल के बयान पर पीएम का प्रहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल गांधी के लंदन वाले बयानों की तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कर्नाटक में कहा कि दुनिया भर में भारत की छवि खराब करने की कोशिश हुई है। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिये बिना कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय मंच से देश को नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को नहीं हिला सकती है। निश्चित रूप से पीएम के इस बयान का इशारा राहुल गांधी के उस वक्तव्य की तरफ ही है, जिसमें उन्होंने भारत में लोकतंत्र की मौत का दावा किया है।
अब सवाल उठता है कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के लिए जो मेहनत की थी, यह उस पर पानी फेर सकता है। सिर्फ अगले साल लोकसभा चुनाव ही नहीं, इस साल कई राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं। देखना होगा कि वहां के चुनावों पर राहुल गांधी के लंदन वाले बयानों का क्या असर होता है। क्या चुनावी मौसम में राहुल नाम का बादल कांग्रेस की सेहत खराब कर सकता है। यह देखना अब दिलचस्प होगा।