आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। धुर्वा स्थित झारखंड हाइकोर्ट के नये निर्माणाधीन भवन को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई। मामले में हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 17 मार्च को भवन निर्माण सचिव और जरेडा के निदेशक को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने भवन निर्माण सचिव से पूछा है कि धुर्वा में हाइकोर्ट के नये भवन के निर्माण को पूरा होने को लेकर जो समय बताया गया था, उसमें देरी हो रही है, इसका क्या कारण है। इससे पहले भवन निर्माण सचिव को जरेडा निदेशक के साथ बैठक कर जरेडा को आ रही समस्याओं का निराकरण करने को कहा गया है। साथ ही इस बैठक में जो निर्णय लिये गये, उसे शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराने को भी कहा गया है। दरअसल, जरेडा को हाइकोर्ट के नये भवन में 2000 किलोवाट का सोलर पैनल लगाना है। फरवरी 2023 में सोलर पैनल को लेकर प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी है। सोलर पैनल लगाने को लेकर राशि का भुगतान समय से नहीं होने से जरेडा को काम करने में कठिनाई हो रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक पूछा कि हाइकोर्ट के नये भवन की अनियमितता मामले की जांच को लेकर सिंगल मेंबर ज्यूडिशियल कमिटी क्यों बनाने का निर्णय लिया गया, जबकि एंटी करप्शन ब्यूरो ( एसीबी) से इस मामले की जांच करायी जा रही थी। इस पर राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मामले में एसीबी प्रोसीड नहीं कर रही थी, जिस कारण ज्यूडिशियल कमिटी बनायी गयी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब पर असंतुष्टि जताते हुए सरकार को स्पष्ट करने को कहा कि विजिलेंस जांच का निर्णय कब हुआ और निर्णय लेने के पीछे क्या कारण है। राज्य सरकार को इसे शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराने को कहा है। प्रार्थी अधिवक्ता राजीव कुमार ने हाइकोर्ट के नये भवन मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2015 में धुर्वा में हाइकोर्ट की बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। दिसंबर 2018 तक कार्य पूरा होना था, लेकिन आज भी अधूरा है। निर्माणाधीन बिल्डिंग में बाकी बचे काम को पूरा करने के लिए सरकार ने संशोधित डीपीआर के तहत कार्यादेश दिया है। संवेदक द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा है।

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