रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि अधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण जनजातीय समुदाय को जाति प्रमाण पत्र बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहा है। वे शुक्रवार को कांग्रेस भवन रांची में पत्रकारों से बात कर रहे थे।

तिर्की ने कहा कि ताजा मामला मुंडा जनजाति की पहली उपजाति भुईहर मुण्डा से जुड़ा है। केन्द्र सरकार की जनजातियों मामले से संबंधित मंत्रालय के सम्बद्ध अधिकारियों के कुछेक असंमजस, संवादहीनता या फिर त्रुटिपूर्ण प्रतिवेदन के कारण मुण्डा जनजाति की उपजाति भुंईहर मुण्डा एवं भुंईहर को अगडी जाति में शामिल कर लिया गया और उसे बिहार की भूमिहार ब्राह्मण जाति से जोड़ कर देखा जाने लगा, जो कि असंगत एवं गलत होने के साथ ही व्यावहारिक एवं तथ्यात्मक दृष्टिकोण से भी उपेक्षापूर्ण स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि मुंडा जनजाति के तीन लाख से ज्यादा लोग विशेष कर सिमडेगा, गुमला, लातेहार, गढवा और पलामू जिले में निवास करते हैं लेकिन झारखंड में अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल नहीं होने के कारण भुईहर मुंडा एवं भुईहर समाज के लोगों की पहचान धीरे -धीरे लुप्त होती जा रही है। अब ये लोग सांस्कृतिक, आर्थिक और समाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही उपेक्षापूर्ण स्थिति में हैं।

तिर्की ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरन को भी पत्र लिखकर भुईहर मुण्डा एवं भुईहर को अनुसूचित जनजाति में शामिल करवाने के लिए न्यायमूर्ति लुकुर कमेटी के प्रतिवेदन व दिशा-निर्देशों के अनुरूप विस्तृत आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण करवाने एवं उसका प्रतिवेदन भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने के लिए अनुरोध किया हैं। क्योंकि, अनुसूचित जनजाति में शामिल करवाने के लिए यह अनिवार्य शर्त है।

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