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    Home»Jharkhand Top News»फगुनाहट का अहसास करा रहे हैं सूर्ख लाल वन ज्योति और सेमल के फूल
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    फगुनाहट का अहसास करा रहे हैं सूर्ख लाल वन ज्योति और सेमल के फूल

    adminBy adminMarch 11, 2024Updated:March 11, 2024No Comments3 Mins Read
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    सदियों से होली में होता है पलाश के फूलों का उपयोग

    खूंटी। खूंटी ही नहीं पूरे झारखंड में जगह-जगह पर खिले सूर्ख लाल वन ज्योति(पलाश) और सेमल के फूल इस बात का आभास करा रहे हैं कि रंगों का त्योहार होंली अब आनेवाली ही है। बसंत पंचमी के आते खूंटी सहित आसपास के क्षेत्रों और जंगलों में पलाश के फूल प्रकृति की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसीलिए कहा जाता है कि पलाश या टेसू के फूल प्रकृति के श्रृंगार हैं। पलाश के फूलों का आकार दीये की तरह होता है। इसकी बनावट के कारण ही अंग्रेजी साहित्यकारों ने इसे फ्लेम ऑफ फोरेस्ट या वन ज्योति की संज्ञा दी है। इन दिनों खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिंहभूम कहीं भी चले जाएं, हर ओर खिले पलाश के फूल बरबस ही आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेंगे। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि चौत्र के महीने में प्रकृति भी अपने सुंदरतम रूप में होती है। झारखंड का राजकीय पुष्प भी पलाश ही है।

    पलाश और सेमल के फूलों का उपयोग होली के दौरान रंग और गुलाल बनाने में किया जाता रहा है। कर्रा रोड खूंटी की रहनेवाली 85 वर्षीय सावित्री देवी कहती हैं कि भले ही आज के बच्चे केमिकलयुक्त रंगों से होली खेलते हो, पर पहले लोग पलाश और सेमल के फूलों से रंग और गुलाल बनाते थे। रंग बनाने के लिए फूलों को किसी बड़े बर्तन में रात भर आग में पकाया जाता है। वहीं गुलाल बनाने के लिए फूलों को धूप में सुखाया जाता है और पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है। एक किलो फूल से लगभग आठ सौ ग्राम गुलाल तैयार हो जाता है।

    रनिया प्रखंड के पूर्व प्रमुख 78 वर्षीय जय गोविंद मिश्र कहते हैं कि हमें हर हाल में प्रकृति के साथ चलना होगा। पलाश और सेमल के फूलों से बने रंग शरीर के लिए काफी लाभदायक हैं। इसलिए हमें रसायन युक्त रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तोरपा के वैद्य नंदू महतो कहते हैं कि पलाश औषधीय गुणों की खान हैं। इसका उपयोग कई तरह की बीमरियों में किया जाता है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य संतोष जयसवाल कहते हैं कि सरकार को चाहिए कि वह पलाश के फूलों की खरीदारी कर उससे प्राकृतिक रंग और गुलाल का निर्माण कराए। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और लोगों का प्रकृति से जुडड़ाव भी होगा।

    पलाश पेड़ाें की भरमार है खूंटी जिले में

    खूंटी जिले में प्रचूर मात्रा में पलाश के पेड़ पाये जाते हैं, पर इसके उपयोग पर सराकरया प्रशासन ने अब तक ध्यान नहीं दिया है। जेएसएलपीएस के परियोजना प्रबंधक बताते हैं कि पलाश के फूलों के व्यावासायिक उपयोग के बारे में जिला प्रशासन विचार कर रहा है। पलामू और हजारीबाग जिले में प्रशासन वलाश के फूलों से रंग और गुलाल बनाने के लिए पलाश के फूलों की खरीदारी करता है। प्रशासन द्वारा बीस रुपये प्रति किलो की दर से पलाश के फूलों की खरीदारी कर रहा है। इससे स्थानीय लोगों को कुछ समय के लिए रोजगार मिल जाता है।

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