कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार समर्थित छात्र एवं शिक्षक संगठन ‘वेबकुपा’ रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी स्थायी कुलपति की मांग को लेकर गत सोमवार से जोड़ासांको में विरोध प्रदर्शन कर रहा है। आरोप है कि रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति और कार्यवाहक रजिस्ट्रार का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद वे पद पर बने हुए हैं। इसी बीच, विवादों में घिरे रविंद्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति और पूर्व न्यायाधीश शुभ्रकमल मुखोपाध्याय से हिन्दुस्थान समाचार ने विशेष बातचीत की।
प्रश्न: आपकी प्रारंभिक शिक्षा कहां हुई?
उत्तर: मैंने दक्षिण कोलकाता के न्यू अलीपुर स्कूल में पढ़ाई की। वहां 9 जनवरी 1964 को दाखिला लिया था। फिर मौलाना आजाद कॉलेज में पढ़ा और उसके बाद कोलकाता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।
प्रश्न: प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि आप शिक्षाविद् नहीं हैं और राज्यपाल ने आपको अपने ‘विश्वस्त व्यक्ति’ के रूप में नियुक्त किया है?
उत्तर: मैं पेशे से वकील हूं। साल 2000 से 2015 तक कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहा। 2015 से 2017 तक कर्नाटक हाईकोर्ट का न्यायाधीश था। मुझे राज्यपाल ने यूजीसी के नियमों के तहत इस पद पर नियुक्त किया है। ‘विश्वस्त व्यक्ति’ कहे जाने का कोई आधार नहीं है। मैंने कभी कुलपति बनने की कोशिश नहीं की, न ही मेरा ऐसा कोई सपना था। एक दिन राज्यपाल ने बुलाया और मुझे इस विश्वविद्यालय का अस्थायी कुलपति नियुक्त कर दिया।
प्रश्न: कब से और क्यों आपका विरोध हो रहा है?
उत्तर: जुलाई 2023 में मैंने कुलपति का कार्यभार संभाला। तब से ही कुछ लोगों की आंखों में खटक रहा हूं। मेरे खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक याचिका दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की पीठ ने स्थायी कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया स्पष्ट की। जिस दिन स्थायी कुलपति की नियुक्ति होगी, मैं पद छोड़ दूंगा। मैं जबरदस्ती नहीं आया और न ही पद पर बने रहने की कोशिश कर रहा हूं। मैं सिर्फ कुलाधिपति (राज्यपाल) के आदेशों का पालन कर रहा हूं।
प्रश्न: कुछ महिला प्रदर्शनकारियों ने आपके खिलाफ अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं?
उत्तर: मुझे कई तरीकों से प्रताड़ित किया गया है। अभी बुधवार को कुछ छात्रों ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि, मैं सुरक्षित रहा लेकिन मेरी सुरक्षा में तैनात पूर्व सैन्यकर्मी घायल हो गए। जब विरोधियों के पास कोई और उपाय नहीं बचता, तो वे चरित्र हनन का सहारा लेते हैं।
प्रश्न: इस स्थिति का विश्वविद्यालय पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर: अभी तक परीक्षाओं की समय-सारिणी प्रभावित नहीं हुई है। लेकिन हंगामे के कारण हमारे पास के कोलकाता विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के बीटी रोड परिसर का कामकाज भी बाधित हो रहा है। वहां से आपत्ति दर्ज कराई गई है। अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैं जोड़ासांको परिसर में काम कर रहा था, लेकिन वहां भी हंगामा शुरू हो गया। विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 48 फीसदी पद खाली हैं, और यह संख्या और बढ़ेगी। इन्हें नियमित प्रक्रिया से भरा नहीं जा पा रहा है। आने वाले समय में पढ़ाई-लिखाई पर बड़ा असर पड़ेगा। गैर-शिक्षक कर्मचारियों के भी कई पद खाली हैं। पूरे विश्वविद्यालय में अस्थिरता का माहौल है, जो ठीक नहीं है।
प्रश्न: आपने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया? हाईकोर्ट ने जोड़ासांको परिसर में आपकी एंट्री सुनिश्चित करने का आदेश दिया?
उत्तर: न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने मंगलवार को आदेश दिया कि कार्यवाहक कुलपति को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए और गिरीश पार्क थाना तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित करे। विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारी ने थाना में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर यह आदेश जारी किया गया। बीटी रोड परिसर से संबंधित मामले को लेकर बुधवार को फिर से अदालत में गुहार लगाने की सलाह विश्वविद्यालय के वकील को दी गई।
प्रश्न: आपने अपनी असहाय स्थिति के बारे में प्रशासन को सूचित किया, फिर भी समाधान नहीं हो रहा?
उत्तर: मैंने अपने नियुक्तिकर्ता राज्यपाल को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने किसे, क्या निर्देश दिया है, यह मुझे नहीं पता।