रांची: रांची के कभी चिरकुट अपराधी, पुलिसिया मदद से कुछ ही दिनों में डॉन बन गये लवकुश पुलिस कस्टडी में भी धमका रहा है। गिरफ्तारी के बाद भी उसमें पुलिस को लेकर कोई भय नहीं है। वह थाने में हंस रहा है, मुसकुरा रहा है और अपने अंदाज में बात कर रहा है। उसे देख कर आपको समझ में आ जायेगा कि आज रांची पुलिस का चेहरा क्या बन गया है। पुलिस का रौब-दाब कैसे अपराधियों पर से समाप्त हो गया है। पुलिस कस्टडी में लवकुश जमीन दलालों को धमका रहा है। कह रहा है कि चिरौंदी की जिस जमीन को लेकर उसका घर उजड़ गया, उस पर वह कभी आशियाना बनने नहीं देगा। कहता है- मैं कहीं भी रहूं, उस जमीन पर काम करनेवाले को मुझे प्रत्येक कट्ठा दो लाख रुपया देना पड़ेगा। यही कारण है कि जमीन पर जल्दी कोई काम करने को तैयार नहीं है।
लवकुश ने कहा कि चिरौंदी की जिस जमीन पर कब्जा करने का जिम्मा मुझे मिला था, उस जमीन को लेकर अनुज स्वर्णकार मेरे घर पर पहुंचा और हम दोनोें भाइयों को गोली मारी थी। अस्पताल में इलाज के दौरान तत्कालीन बरियातू थानेदार विनोद कुमार और डीएसपी सतवीर सिंह ने हम दोनों भाई को जबरन जेल भेज दिया था। यदि हमें जेल नहीं भेजा जाता, तो आज यह नौबत नहीं आती। जेल से बाहर आते ही अपनी जान बचाने के लिए मुझे अनुज की हत्या करनी पड़ी और तब से लेकर आज तक मेरा पूरा परिवार बिखर गया। चिरौंदी की जमीन के कारण ही मेरे पिता का बनाया मकान जो कुसुम बिहार के रोड नंबर सात में है, उस मकान की छत तक पुलिस ने उजाड़ दी, लेकिन अब चिरौंदी की उस जमीन पर तब तक मेरा कब्जा रहेगा, जब तक मुझे दो करोड़ रुपये नहीं मिल जाते है।
लवकुश ने पुलिस को कहा कि साहब आप लोगों ने मेरे तमाम चेलों को इतना दबा दिया है कि अब कोई मेरा चेला बनने को तैयार नहीं है। रांची में मेरा काम संभालनेवाले बहुत कम लड़के बच गये हैं। रांची में बूटी मोड़ निवासी कुणाल सिंह, लोटस गार्डन निवासी पंकज लाल दास और चंदन मिर्धा की मदद से मैं रांची में अपराध का कारोबार चला रहा था। रांची आने पर मैं इन लोगों के यहा ही रूकता था। चिरौंदी की जमीन और अन्य तमाम चीजों की जानकारियां मुझे इन तीनों की मदद से ही मिलती थी।
15 दिन पहले भी रांची में डिंपू से मिलने पहुंचा था लवकुश
सावन में चंदन मिर्धा से मिलने और अगस्त में रांची में रहने के बाद गिरफ्तारी के 15 दिनों पूर्व भी लवकुश रांची में था। इसका खुलासा लवकुश ने खुद किया है। लवकुश रांची में ओरमांझी के ब्लॉक चौक मोड़ से बोड़िया और मोरहाबादी होकर बरियातू पहुंचा था। रांची के हरमू निवासी डिंपू सिंह से लवकुश के बड़े भाई विपिन की अच्छी दोस्ती है। इस कारण ही डिंपू चिरौंदी की विवादित जमीन को खरीदने के लिए तैयार हो गया था, तब कुणाल और पंकज ने डिंपू से मिलने के लिए लवकुश को कहा था। 15 दिनों पहले लवकुश चार दिनो के लिए रांची आया था और रांची में पंकज के घर में रहने के बाद वह डिंपू से मिला और जमीन का सौदा तय किया था।
रांची की लोकल खबरे रोज पढ़ता रहा
लवकुश के पास से जो स्मार्ट फोन है, उसके संबंध में लवकुश ने बताया कि वह रोजाना इंटरनेट के माध्यम से रांची की लोकल खबरें पढ़ता था। उससे मुझे पुलिस की कई गतिविधियों का पता लगता था।
गद्दार है अंशू शर्मा : लवकुश
कभी एक साथ अपराध को अंजाम देने के बाद आज अलग-अलग गिरोह चला रहे अपने ही साथी अंशू शर्मा को लवकुश ने गद्दार बताया है। लवकुश ने कहा कि अंशू मेरा गेम करने में लगा है। वही नहीं अंशू ने कई लोगों को सेटिंग से मरवाया है। वह पूरी तरह से गद्दार है। जेल से बाहर आने के बाद अंशू और लवकुश आमने सामने होंगे।