दुमका: झारखंड विकास मोरचा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहते हैं-झामुमो का किला ढह चुका है। उसकी वोटों की किलेबंदी में सेंध लग चुकी है। उसका किला भहराने वाला है। इस बार यहां इतिहास करवट लेगा। इस बार तीर भोथरी हो चुकी है। धनुष टेढ़ी हो चुकी है। चालीस साल से लगातार बोले जा रहे झूठ पर से परदा उठ चुका है और इस परदे ने संथाल की जनता ने जता दिया है। वह कहते हैं, इस बार साइमन मरांडी की वह राजनीतिक दुर्गति होगी, जिसकी उम्मीद न तो उन्होंने की होगी और न ही झामुमो ने।
किला तो ढहेगा, लेकिन जीतेगा कौन के जवाब में वह कहते हैं-जो भी जीते, झामुमो नहीं जीतेगा।
उन्होंने कहा कि मात्र चौदह दिन की तैयारी में वह चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने दो महीना पहले हेमंत सोरेन से बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर अनिल मुर्मू की पत्नी को आप टिकट देंगे, तो हम उसका समर्थन करेंगे अपना उम्मीदवार नहीं देंगे। तब हेमंत ने उनसे कहा था कि वह अनिल मुर्मू की विधवा को ही टिकट देंगे। लेकिन एन वक्त पर उन्होंने धोखा दे दिया। उन्हें सबक सिखाने के लिए ही उन्होंने लिट्टीपाड़ा में अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। वह पढ़े-लिखे लोगों के पास जा रहे हैं और बता रहे हैं कि कैसे झामुमो ने संथाल की जनता को छला है और कैसे वहां परिवारवाद हावी है। उन्होंने कहा कि पूरा विश्वास है इस बात संथाल की जनता झामुमो को सबक सिखायेगी। बाबूलाल मरांडी कहते हैं। आप इतिहास पर गौर कीजिए। लिट्टीपाड़ा में अनिल मुर्मू का बीस से पच्चीस हजार अपना वोट था। जब वे निर्दलीय खड़ा हुÞए थे, तब भी ये वोट उन्हें मिले थे। जब वे कांग्रेस में थे, तब भी ये वोट उन्हें मिले। और झामुमो ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया, तो यह वोट झामुमो में जुड़ गया। यहां झामुमो का परंपरागत वोट तीस हजार ही है। पच्चीस हजार जुड़ कर उसका वोट 56 हजार के आसपास हो गया था और जीत 25 हजार की हो गयी थी। उन्होंने कहा कि यह 25 हजार इस बार झामुमो को नहीं मिलेंगे। इसी वोट पर उनकी नजर है। पढ़े लिखे लोग उनकी बातों पर विश्वास कर रहे हैं। उन्हीं उम्मीद है कि वह झामुमो को पटकनी दे देंगे। क्या यहां से भाजपा भी जीत सकती है के जवाब में वह कहते हैं कि हमें चुनाव लड़ने के लिए मात्र 14 दिन का ही समय मिला है। इतने कम दिनों के बाद भी हम अच्छा रिजल्ट देंगे।
क्या आपको नहीं लगता है कि भाजपा का पलड़ा भारी हो रहा है के जवाब में वह कहते हैं कि यह हम नहीं कह सकते। भाजपा भी तो झामुमो की पिछलग्गू रही है। जब भाजपा को जरूरत होती थी, तो वह झामुमो का साथ लेती थी और जब झामुमो को जरूरत होती थी तो वह भाजपा का साथ लेती थी। वह यह भी कहते हैं कि इस बार पहाड़िया मतदाता जीत में फैक्टर होंगे। ये मतदाता तो इस बार भाजपा की तरफ दिख रहे हैं, के जवाब में बाबूलाल कहते हैं कि यह आपका नजरिया है। बाबूलाल यह भी कहते हैं कि अब झारखंड में झामुमो का भविष्य नहीं है। शिबू सोरेन की फोटो टांग कर और प्रतिमूर्ति बना कर कितने दिन तक संथाल परगना के मतदाताओं के साथ झामुमो छल करता रहेगा। वह कहते हैं, आप देख लीजिए, 9 अप्रैल के दिन मतदान के बाद यू टर्न हो जायेगा और झामुमो को मुंह छिपाने की जगह भी नहीं होगी। बाबूलाल को आत्मविश्वास है कि 2019 के चुनाव में वह झामुमो की जगह ले लेंगे। आदिवासी मतदाताओं के समक्ष उनके सिवा कोई विकल्प नहीं होगा। वह अच्छी-खासी संख्या में विधायकों को जीता कर लायेंगे और सारे दलों का गणित बिगाड़ देंगे। बाबूलाल मरांडी से यह बातचीत बुधवार को दिन के नौ बजे दुमका के सर्किट हाउस में हुई।