केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला फिर से शुरू करने संबंधी याचिका पर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने पीठ से कहा कि आडवाणी एवं 12 अन्य नेता विवादित ढांचा गिराने की साजिश के हिस्से थे।
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आडवाणी, जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत 13 अन्य के खिलाफ पुन: सुनवाई शुरू करने की पीठ से गुहार लगाई।
सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने दलील दी कि बाबरी विध्वंस से ही जुड़ा एक मामला रायबरेली की अदालत में भी चल रहा है जिसकी सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत में संयुक्त रूप से होनी चाहिए। लखनऊ की इस अदालत में कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही है।
जांच एजेंसी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर देना चाहिए, जिसमें उसने आपराधिक साजिश की धारा को हटाया था। दरअसल रायबरेली की अदालत की ओर से तकनीकी आधार पर इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया गया था। जिसे वर्ष 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से सही ठहराया गया था।
पिछले महीने कोर्ट ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई दो हफ्तों के लिए टाल दी थी और आडवाणी सहित 13 नेताओं से मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। आडवाणी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि अगर आपराधिक साजिश का मुकदमा फिर से चलाया गया, तो उन 183 गवाहों को दोबारा बुलाना होगा, जिनकी निचली अदालत में गवाही हो चुकी है।
रायबरेली की अदालत में 57 गवाहों के बयान दर्ज किये जा चुके हैं और अभी 100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज करने बाकी हैं। लखनऊ की अदालत में 195 गवाहों की पेशी हो चुकी है, जबकि 300 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किये जाने हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला फिर से शुरू करने संबंधी याचिका पर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने पीठ से कहा कि आडवाणी एवं 12 अन्य नेता विवादित ढांचा गिराने की साजिश के हिस्से थे।
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आडवाणी, जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत 13 अन्य के खिलाफ पुन: सुनवाई शुरू करने की पीठ से गुहार लगाई।
सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने दलील दी कि बाबरी विध्वंस से ही जुड़ा एक मामला रायबरेली की अदालत में भी चल रहा है जिसकी सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत में संयुक्त रूप से होनी चाहिए। लखनऊ की इस अदालत में कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही है।
जांच एजेंसी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर देना चाहिए, जिसमें उसने आपराधिक साजिश की धारा को हटाया था। दरअसल रायबरेली की अदालत की ओर से तकनीकी आधार पर इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया गया था। जिसे वर्ष 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से सही ठहराया गया था।
पिछले महीने कोर्ट ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई दो हफ्तों के लिए टाल दी थी और आडवाणी सहित 13 नेताओं से मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। आडवाणी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि अगर आपराधिक साजिश का मुकदमा फिर से चलाया गया, तो उन 183 गवाहों को दोबारा बुलाना होगा, जिनकी निचली अदालत में गवाही हो चुकी है।
रायबरेली की अदालत में 57 गवाहों के बयान दर्ज किये जा चुके हैं और अभी 100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज करने बाकी हैं। लखनऊ की अदालत में 195 गवाहों की पेशी हो चुकी है, जबकि 300 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किये जाने हैं।